चार महिलाओं से इश्क ने फुआद शुकर को पहुंचाया मौत के जाल में

  • Post By Admin on Dec 30 2024
चार महिलाओं से इश्क ने फुआद शुकर को पहुंचाया मौत के जाल में

साल 1983 में बेरूत में अमेरिकी मरीन बैरकों पर बमबारी की योजना बनाने वाले हिजबुल्ला कमांडर फुआद शुकर को उसकी ही एक कमजोरी ने मौत के मुंह तक पहुंचा दिया। मोसाद, इस्राइल की खुफिया एजेंसी ने शुकर को उसकी व्यक्तिगत जीवन की गफलत का फायदा उठाकर निशाना बनाया और अंततः उसे ढेर कर दिया।

किस तरह फुआद शुकर मोसाद के जाल में फंसा?

फुआद शुकर, जो हिजबुल्ला का सह-संस्थापक और शीर्ष कमांडर था। अपने निजी जीवन में चार महिलाओं से संबंध बना रहा था। मोसाद ने उसकी इस कमजोरी को अपने फायदे के रूप में इस्तेमाल किया। शुकर ने एक मौलवी से सलाह ली थी। जिसने उसे इन चार महिलाओं से शादी करने की सलाह दी। इसके बाद शुकर ने फोन पर ही इन चार महिलाओं से शादी कर ली, लेकिन इस दौरान वह मोसाद की जासूसी के जाल में फंस गया। मोसाद ने उसकी बातचीत और लोकेशन को ट्रेस किया। जिससे उसकी स्थिति का पता चला।

मोसाद ने ऐसे किया हमला

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 30 जुलाई को फुआद शुकर को एक फोन कॉल के जरिए दक्षिणी बेरुत के एक सुरक्षित स्थान पर बुलाया गया। जैसे ही शुकर वहां पहुंचा, इस्राइल ने एक मिसाइल से हमला किया। जिसमें शुकर को मार डाला गया। इस हमले के दौरान शुकर अपनी पत्नी, दो बच्चों और दो अन्य महिलाओं के साथ मौजूद था।

इस हमले से पहले, शुकर पर जुलाई में मजदल शम्स में हुए एक मिसाइल हमले का आरोप था। जिसमें कई इस्राइली नागरिक और स्कूली बच्चे मारे गए थे। इसके बाद ही इस्राइल ने शुकर को ढूंढने की मुहिम तेज कर दी थी।

शुकर का अपराध और उसके बाद की स्थिति

फुआद शुकर 1983 में बेरूत में अमेरिकी मरीन बैरकों पर बमबारी की योजना बनाने में शामिल था। जिससे 241 अमेरिकी मरीन सैनिकों की मौत हुई थी। इसके बाद से ही वह अमेरिका के सबसे वांछित अपराधियों की सूची में शामिल हो गया था। मोसाद ने लंबी जासूसी के बाद शुकर को उसकी निजी कमजोरी से पकड़ा और उसे मार डाला।

मोसाद की कार्यवाही पर प्रतिक्रियाएं

शुकर की मौत के बाद लेबनानी मीडिया ने बताया कि शुकर की हत्या इस्राइल की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। हालांकि, इसे लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि मोसाद ने शुकर के खिलाफ अपनी जासूसी और निशानदेही के जरिए रणनीतिक कदम उठाया। जबकि कुछ का कहना है कि यह केवल एक व्यक्तिगत गलती की सजा थी। जिसे शुकर ने खुद अपनी कमजोरियों के कारण भुगती।