H-1B सख्ती के बीच मस्क ने कही ट्रंप को खटकने वाली बात, टैरिफ को बताया नुकसानदेह
- Post By Admin on Dec 01 2025
वॉशिंगटन : अमेरिका में H-1B वीजा प्रोग्राम पर कड़े नियम लागू करने की ट्रंप प्रशासन की हालिया घोषणा के बीच टेस्ला के सीईओ एलन मस्क का एक नया बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। मस्क ने न सिर्फ भारतीय प्रवासियों की अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भूमिका की जोरदार तारीफ की, बल्कि ट्रंप की टैरिफ नीति और वीजा सिस्टम पर भी खुलकर सवाल उठाए।
निखिल कामथ के पॉडकास्ट ‘डब्ल्यूटीएफ’ में बातचीत के दौरान मस्क ने कहा कि अमेरिका को भारत जैसे देशों से उच्च कौशल वाले पेशेवरों की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपनियां कई अहम पदों के लिए प्रतिभा की कमी का सामना कर रही हैं, ऐसे में भारतीय प्रोफेशनल्स ने अमेरिका की तकनीकी प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
हालांकि मस्क ने यह भी माना कि कुछ आउटसोर्सिंग कंपनियों ने H-1B वीजा सिस्टम का गलत इस्तेमाल किया है, लेकिन पूरी व्यवस्था को सख्ती के नाम पर बंद करना समाधान नहीं है। उनके अनुसार, “अमेरिका भारत से आने वाली टैलेंट पूल से अत्यधिक लाभान्वित हुआ है। कुछ खराब उदाहरणों के कारण पूरे प्रोग्राम को निशाना बनाना सही नहीं है।”
मस्क ने बाइडेन प्रशासन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पिछली नीतियों ने बॉर्डर कंट्रोल की कीमत पर व्यापक वीजा आसानी को बढ़ावा दिया, जिससे गैर-कानूनी प्रवासन के जोखिम बढ़े। उन्होंने स्पष्ट कहा, “अगर बॉर्डर कंट्रोल नहीं है, तो आप एक देश नहीं हैं।”
इसी बातचीत में मस्क ने ट्रंप की टैरिफ नीति पर भी सीधी टिप्पणी की। उन्होंने बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप को टैरिफ लगाने से रोकने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन ट्रंप अपनी नीति पर अड़े रहे। मस्क के शब्दों में, “टैरिफ किसी भी अर्थव्यवस्था को लंबे समय में नुकसान पहुंचाते हैं। वे मार्केट को असंतुलित करते हैं और व्यापार की दक्षता को कम करते हैं।”
मस्क ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि यदि एक ही देश के शहरों या राज्यों के बीच टैरिफ लगा दिए जाएं तो अर्थव्यवस्था रुक जाएगी—उसी तरह वैश्विक व्यापार में भी टैरिफ बाधक साबित होते हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में अमेरिका ने H-1B वीजा आवेदन शुल्क को बढ़ाकर 100,000 डॉलर कर दिया है, जिसे 21 सितंबर 2025 से लागू किया जाएगा। हालांकि ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि यह वार्षिक शुल्क नहीं होगा और केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगा।
1990 में शुरू किया गया H-1B वीजा प्रोग्राम अमेरिकी कंपनियों को विदेशी टैलेंट को नियुक्त करने की अनुमति देता है। 2024 में जारी सभी H-1B अनुमोदनों में 71 प्रतिशत वीजा भारतीयों को मिले, जो इस प्रोग्राम में भारत की भारी भागीदारी को दर्शाता है।