लखीसराय मंडल कारा में महिला बंदियों के बीच सखी वार्ता, सशक्तिकरण और पुनर्वास पर दिया गया जोर

  • Post By Admin on Aug 06 2025
लखीसराय मंडल कारा में महिला बंदियों के बीच सखी वार्ता, सशक्तिकरण और पुनर्वास पर दिया गया जोर

लखीसराय : महिला एवं बाल विकास निगम लखीसराय के तत्वावधान में बुधवार को मंडल कारा परिसर में महिला बंदियों के बीच 'सखी वार्ता' का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, आईसीडीएस सह नोडल पदाधिकारी (मिशन शक्ति) वंदना पांडेय ने की।

अपने संबोधन में वंदना पांडेय ने महिला बंदियों को प्रेरित करते हुए कहा कि, "जेल सुधार गृह है और यहां से बाहर निकलने के बाद हर किसी के पास एक नया जीवन शुरू करने का अवसर है। समाज की मुख्यधारा से जुड़कर अच्छे कार्यों में भागीदारी सुनिश्चित करें और दूसरों को भी कानून के प्रति जागरूक बनाएं।"

कार्यक्रम में स्तनपान सप्ताह, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, प्रायोजन और परवरिश योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही उन्होंने घोषणा की कि बंदी महिलाओं के बच्चों के लिए जल्द ही जेल परिसर में अतिरिक्त पालनाघर की मांग की जाएगी और तब तक उन्हें नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र से जोड़ा जाएगा ताकि पोषण के साथ-साथ शिक्षा भी सुनिश्चित हो सके।

इस अवसर पर जिला परियोजना प्रबंधक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के तहत संचालित पालनाघर, कौशल विकास केंद्र, सामाजिक पुनर्वास कोष और अल्पावास गृह की जानकारी साझा की।

जिला मिशन समन्वयक प्रशांत कुमार ने सखी वन स्टॉप सेंटर, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, महिला हेल्पलाइन 181, शक्ति सदन, सखी निवास, बाल विवाह उन्मूलन अभियान जैसे मिशन शक्ति की विभिन्न योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी।

सखी वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक पूनम कुमारी ने बताया कि हिंसा की शिकार कोई भी महिला या किशोरी 181 नंबर पर कॉल कर मदद ले सकती है। कई मामलों में सेंटर के माध्यम से पीड़िताओं को राहत और नया जीवन मिला है।

कार्यक्रम के अंत में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी द्वारा बंदी बच्चों के लिए खेल और पठन सामग्री वितरित की गई तथा सभी को बाल विवाह के खिलाफ शपथ भी दिलाई गई।

इस अवसर पर जेल कल्याण पदाधिकारी आलोक कुमार सिंह, प्रभारी जेल उपाधीक्षक प्रमोद कुमार, लैंगिक विशेषज्ञ किस्मत कुमारी, नवीन कुमार, नवीन्द्र दास समेत दर्जनों महिला बंदी उपस्थित रहीं।

यह पहल महिला सशक्तिकरण, सामाजिक पुनर्वास और मुख्यधारा में वापसी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।