नए कानून को फौजदारी कानून बताते हुए माले का विरोध प्रदर्शन

  • Post By Admin on Jul 01 2024
नए कानून को फौजदारी कानून बताते हुए माले का विरोध प्रदर्शन

मुजफ्फरपुर : मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए नए कानून को लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए खतरनाक बताते हुए माले कार्यकर्ताओं ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस के तहत मुजफ्फरपुर में हरिसभा चौक स्थित भाकपा-माले कार्यालय से शुरू होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होकर कल्याणी चौक तक पहुँचा। उन लोगों ने इस कानून को फौजीदारी कानून करार दिया है ।

प्रदर्शनकारियों ने जोरदार नारों के साथ मार्च निकाला, जिसमें "नया फौजदारी कानून वापस लो," "पुलिस को अनियंत्रित शक्तियाँ देना बंद करो," और "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले बंद करो" जैसे नारे शामिल थे। इस मार्च का नेतृत्व माले नगर सचिव सूरज कुमार सिंह, मजदूर नेता मनोज यादव, शत्रुघ्न सहनी, होरिल राय, इंसाफ मंच के फहद जमां, माले कार्यकर्ता विजय गुप्ता, राजकिशोर प्रसाद, विनय वर्मा, एस.एन. झा, और नौजवान सभा के शफीकुर रहमान ने किया।

माले नेताओं ने अपने संबोधन में कहा कि मोदी सरकार द्वारा 1 जुलाई से लागू किए जा रहे तीन नए फौजदारी संहिता, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, नागरिक स्वतंत्रताओं का हनन करते हैं और सरकारी दमन को बढ़ावा देते हैं। इन कानूनों के तहत भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता 1973, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को प्रतिस्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह नए कानून नागरिक स्वतंत्रताओं जैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, एकत्र होने की स्वतंत्रता, और प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता को खतरे में डालते हैं।

विशेष रूप से, नए कानूनों में आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) को बरकरार रखा गया है और भूख हड़ताल को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके अलावा, पुलिस को गिरफ्तारी और निरुद्ध करने के अनियंत्रित अधिकार दिए गए हैं, जो कि निजता और मानवीय गरिमा के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है। पुलिस अभिरक्षा की अवधि को भी 15 दिन से बढ़ाकर 60 या 90 दिन कर दिया गया है, जिसे माले नेताओं ने खतरनाक करार दिया है।