जानिए बिहार के नए राज्यपाल आरिफ खान का सियासी सफर 

  • Post By Admin on Dec 25 2024
जानिए बिहार के नए राज्यपाल आरिफ खान का सियासी सफर 

पटना : बिहार के नए राज्यपाल के रूप में आरिफ मोहम्मद खान को नियुक्त किया गया है। केंद्र सरकार ने बिहार सहित पांच राज्यों के राज्यपालों का बदलाव किया है। इसी के तहत केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का राज्यपाल बनाया गया है। वहीं, राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर जो कि पहले बिहार के राज्यपाल थे अब केरल के राज्यपाल बनाए गए हैं। इस बदलाव के साथ, आरिफ मोहम्मद खान के सियासी सफर को लेकर कई दिलचस्प बातें सामने आई हैं।

नीतीश कुमार के साथ कैबिनेट मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान

आरिफ मोहम्मद खान का सियासी करियर कई महत्वपूर्ण मोड़ों से गुजर चुका है। उन्होंने केंद्र में वीपी सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया और उस समय बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उनके साथ कैबिनेट में मंत्री थे। दोनों नेता वीपी सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी से अलग हुए थे और एक साथ सत्ता में थे। वीपी सिंह सरकार में उनके योगदान को महत्वपूर्ण माना जाता है, खासकर तब जब कांग्रेस से विद्रोह कर कई वरिष्ठ नेता बाहर निकले थे।

सियासी सफर की शुरुआत

आरिफ मोहम्मद खान ने अपनी सियासी यात्रा की शुरुआत अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में की थी। इसके बाद, 1977 में वे उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले से सियाना विधानसभा सीट से विधायक बने और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बने। 1978 में जब जनता पार्टी से नाराज होकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी। उसके बाद वे 1974 में चौधरी चरण सिंह के लोकदल में शामिल हुए थे। यहां पर उन्हें युथ बिग्रेड के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी मिली थी। उनके हमउम्र और जदयू नेता केसी त्यागी ने आरिफ मोहम्मद खान के राजनीतिक दृष्टिकोण को खासा सराहा है।

राजीव गांधी के करीबी रहे आरिफ मोहम्मद खान

1980 में आरिफ मोहम्मद खान ने कांग्रेस जॉइन की और कानपुर से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। वे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कोर टीम का हिस्सा बने और कई महत्वपूर्ण निर्णयों में उनकी भागीदारी रही। हालांकि, उनका एक महत्वपूर्ण विवाद भी था। बता दे कि, शाहबानो मामले में उनके विचार कांग्रेस पार्टी से अलग थे। इस विवाद ने उनकी छवि को एक अलग दिशा में मोड़ा। आरिफ मोहम्मद खान इस मुद्दे पर खुलकर सामने आए और उनके विचारों ने राजनीतिक माहौल में हलचल पैदा की।

कांग्रेस से अलग होकर बुलंदशहर से चुनाव जीते

1989 में आरिफ मोहम्मद खान ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और बुलंदशहर से फिर से लोकसभा चुनाव में भाग लिया। इस बार उन्होंने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वे जदयू और अन्य विपक्षी दलों से जुड़े रहे और उनका राजनीतिक प्रभाव बढ़ता गया। उनके इस सियासी सफर के साथ जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि आरिफ मोहम्मद खान हमेशा अपने विचारों में स्पष्ट थे और उन्होंने कई बार सियासी फैसलों में अहम भूमिका निभाई।

सियासत से राज्यपाल पद तक का सफर

आरिफ मोहम्मद खान का राजनीतिक सफर न केवल भारत की सियासत में उनकी सक्रियता को दर्शाता है, बल्कि यह उनके विचारों की विविधता और कड़ी मेहनत का भी प्रतीक है। अब वे बिहार के राज्यपाल के रूप में नए राजनीतिक दायित्व का निर्वहन करेंगे। उनके अनुभव और सियासी पृष्ठभूमि से यह उम्मीद जताई जा रही है कि वे राज्य में शांति और विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।