बिहार विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी योग थ्योरी एंड थेरेपी का समापन

  • Post By Admin on Dec 14 2024
बिहार विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी योग थ्योरी एंड थेरेपी का समापन

मुजफ्फरपुर : बिहार विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “योग थ्योरी एंड थेरेपी” का शुक्रवार को समापन हुआ। समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी भावात्मानंद सरस्वती उपस्थित रहे। जिन्होंने योग के महत्व और उसके उपचारात्मक लाभों पर प्रकाश डाला। 

इस दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद के योग संबंधी विचारों का भी उल्लेख किया। जिन्हें उन्होंने भारतीय संस्कृति के उत्थान में एक अहम मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत किया। समापन सत्र में जोधपुर से आए प्रो. अवतार लाल मीणा और आरा से आए प्रो. किस्मत कुमार सिंह ने संगोष्ठी की सफलता पर अपनी विचार व्यक्त किए और इस आयोजन के महत्व को रेखांकित किया। 

उन्होंने योग के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों पर चर्चा की और इसे वर्तमान समय में जीवन की एक अनिवार्य आवश्यकता बताया। इस आयोजन के दौरान कई प्रमुख शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को सम्मानित किया गया। 

जिनमें प्रो. लक्ष्मी कुमारी साह, प्रो. सरोज कुमार वर्मा, प्रो. राजीव कुमार, प्रो. राजेश्वर सिंह, डॉ. पायोली, डॉ. रेणु वाला, डॉ. हिमांशु शेखर, डॉ. शुधांशु शेखर, डॉ. हरि शंकर प्रसाद, डॉ. सुमंत कुमार, डॉ. रवि शेखर, डॉ. हरि शंकर और दिनेश कुमार शामिल हैं।

समापन सत्र के पूर्व तीन शैक्षणिक सत्र भी आयोजित किए गए। जिनमें विभिन्न विद्वानों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। डॉ. मनोज कुमार राय, डॉ. जयंत उपाध्याय, डॉ. रणंजय सिंह, राजेश कुमार तिवारी, डॉ. राज कुमार चौबे, मनोज कुमार तिवारी, डॉ. सुधांशु शेखर सहित अन्य विद्वानों ने योग पर अपने-अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए और योग के विभिन्न पहलुओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिभाषित किया।

इस संगोष्ठी ने योग को न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी एक प्रभावी उपाय के रूप में प्रस्तुत किया। आयोजन में उपस्थित विशेषज्ञों और प्रतिभागियों ने योग के प्राचीन और आधुनिक आयामों पर गहन चर्चा की और इसे जीवन में व्यावहारिक रूप से लागू करने के तरीकों पर प्रकाश डाला।

योग थ्योरी एंड थेरेपी पर यह संगोष्ठी न केवल विद्वानों के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद स्थापित करने का मंच बनी, बल्कि इसमें दी गई जानकारियों और शोधपत्रों ने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई।