BPSC Protest : प्रशांत किशोर को आईसीयू से जनरल वार्ड में किया गया शिफ्ट, हालत में आई सुधार

  • Post By Admin on Jan 10 2025
BPSC Protest : प्रशांत किशोर को आईसीयू से जनरल वार्ड में किया गया शिफ्ट, हालत में आई सुधार

पटना : पटना में BPSC के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की तबियत में सुधार आया है। प्रशांत किशोर 2 जनवरी से आमरण अनशन पर थे और 6 जनवरी को पटना पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद उनकी तबियत खराब होने के बाद हाल ही में पटना के मेदांता अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। हालांकि, अब उनकी तबियत में काफी सुधार हुआ है और उन्हें आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।

स्वास्थ्य में सुधार, चिकित्सकों ने दी सामान्य भोजन की सलाह

प्रशांत किशोर के चिकित्सकों की निगरानी में स्वास्थ्य स्थिति सुधरी है और डॉक्टरों ने उन्हें सामान्य भोजन और दवाओं का पालन करने की सलाह दी है। बावजूद इसके, वह नियमित भोजन और दवाओं को लेने से इनकार कर रहे हैं। इस स्थिति के बावजूद, उनकी क्लिनिकल टीम लगातार उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रही है।

पीके के वकील ने सरकार को घेरा, 5 बिंदुओं पर उठाए सवाल

प्रशांत किशोर के स्वास्थ्य में सुधार के बीच, उनके वकील अमित कुमार ने बिहार सरकार को घेरते हुए कई सवाल उठाए हैं। अमित कुमार ने सरकार के खिलाफ पांच प्रमुख बिंदुओं पर अपना विरोध व्यक्त किया। जिनमें से एक प्रमुख बिंदु यह था कि प्रशांत किशोर को बिना कागजात के जेल भेजने का प्रयास किया गया था।

  • बिना कागज के भेजा जेल

अधिवक्ता अमित कुमार ने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि जब प्रशांत किशोर को कोर्ट परिसर से निकाला गया, तो सुनवाई चल रही थी, लेकिन बिना कस्टडी कागज के उन्हें बेऊर जेल भेजने का प्रयास किया गया। जेल अधीक्षक ने बिना कागज के उन्हें अंदर रखने से मना कर दिया।

  • अनशनकारियों पर लगाए गए हथियार रखने का आरोप

अधिवक्ता ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि प्रशांत किशोर और अन्य अनशनकारियों पर गांधी मूर्ति के नीचे हथियार रखने का आरोप लगाया गया। अमित कुमार ने कहा कि क्या बिहार सरकार कंबल और मफलर को हथियार मानती है ?

  • गलत धाराओं का आरोप

अधिवक्ता ने यह भी बताया कि जिन धाराओं में केस दर्ज किया गया है, वे सभी जमानती धाराएं हैं। उन्होंने कहा कि 191(3) जैसी धारा दंगा करने और घातक हथियार रखने पर लगाई जाती है, लेकिन इस घटना में किसी के पास छड़ी तक नहीं थी। कंबल और मफलर को हथियार मानने का यह उदाहरण बेहद हास्यास्पद है।

  • कोर्ट ने रखी थी शर्तें

अधिवक्ता ने यह भी बताया कि कोर्ट ने पहले शर्तें रखी थीं। जिसके अनुसार प्रशांत किशोर को जमानत दी गई। इन शर्तों में एक शर्त यह थी कि वह किसी भी धरना या प्रदर्शन में भाग नहीं लेंगे, लेकिन बाद में इसे हटा लिया गया। उनके PR बॉन्ड में 4 प्रमुख शर्तें थीं। जिनका पालन करना आवश्यक था।

  • पुलिस पर उठाए सवाल

अधिवक्ता ने इस बात को भी उजागर किया कि प्राथमिकी गांधी मैदान थाना में दर्ज की गई थी, लेकिन पुलिस ने प्रशांत किशोर को गांधी मैदान थाना में न ले जाकर बेऊर जेल भेज दिया। इसके अलावा, जब भीड़ नियंत्रित नहीं हो पाई तो माइक प्रशांत किशोर को दे दिया गया और फिर एक और FIR दर्ज किया गया। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पुलिस किस अधिकार से उन्हें बेऊर जेल ले गई और क्यों कागजात नहीं दिए गए।

अधिवक्ता का बयान : सरकार ने झूठ का पुलिंदा तैयार किया

अधिवक्ता अमित कुमार ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने पूरी स्थिति को झूठा बना दिया और इससे प्रशांत किशोर और उनके समर्थकों को परेशान किया। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह जनता को सही जानकारी दे और इस मामले में पारदर्शिता बनाए।