ऐतिहासिक शोध विधियों का आकलन जरूरी : डॉ. प्रभात
- Post By Admin on Dec 18 2024

मुजफ्फरपुर : लंगट सिंह महाविद्यालय के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में “डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेमोरियल लेक्चर” का आयोजन किया गया। जिसका विषय “मेथोडोलॉजी इन हिस्टॉरिकल रिसर्च” था। इस दौरान इतिहासकार डॉ. प्रभात कुमार शुक्ला ने ऐतिहासिक शोध विधियों के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि शोधार्थियों को शोध की विधियों का गहन आकलन करना चाहिए।
डॉ. शुक्ला ने कहा कि ऐतिहासिक शोध विधियों का अध्ययन कालानुक्रमिक डेटा, लिखित साक्ष्य, सार्वजनिक रिकॉर्ड, प्रत्यक्षदर्शी विवरण, कानूनी दस्तावेज, शोध ग्रंथों आदि का गहन और तुलनात्मक अध्ययन करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐतिहासिक शोध के दौरान वैकल्पिक स्रोतों पर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि इससे हम अतीत की घटनाओं को सही संदर्भ में समझ सकते हैं। डॉ. शुक्ला ने शोधकर्ताओं को ऐतिहासिक घटनाओं के महत्व को समझने के लिए वैश्विक स्तर पर विभिन्न इतिहासकारों के मूल ग्रंथों के अध्ययन की भी सलाह दी।
उन्होंने कहा कि प्रभावी ऐतिहासिक शोध विधियों से न केवल अतीत की घटनाओं को समझा जा सकता है बल्कि इससे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्राप्त की जा सकती है। डॉ. शुक्ला के अनुसार शोध दृष्टि को प्रखर बनाने के लिए प्राचीन से लेकर आधुनिक काल तक की घटनाओं पर व्यापक अध्ययन आवश्यक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. ओमप्रकाश राय ने कहा कि इस आयोजन ने छात्रों, शिक्षकों और शोधार्थियों को शोध कार्य प्रणाली के क्षेत्र में महत्वपूर्ण और नवीन ज्ञान प्रदान किया है। उन्होंने आयोजन की सफलता के लिए इतिहास विभाग के सभी शिक्षकों का आभार व्यक्त किया।
लंगट सिंह महाविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. भोजनंदन प्रसाद सिंह ने भी इतिहास लेखन और शोध कार्य प्रणाली के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और शोध विधियों की जटिलताओं को समझाया। इतिहास विभाग की अध्यक्षा डॉ. पुष्पा कुमारी ने मुख्य वक्ता और अन्य अतिथियों का स्वागत किया और शोध कार्य प्रणाली के विभिन्न आयामों पर चर्चा की।
संगोष्ठी में डॉ. दिलीप कुमार यादव, डॉ. राजीव कुमार, डॉ. अनामिका आनंद, डॉ. धीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ. संतोष कुमार अनल, विश्वविद्यालय इतिहास विभाग से डॉ. शिवेश कुमार, डॉ. गौतम चंद्रा, डॉ. अर्चना पांडे, सीनेटर डॉ. संजय कुमार सुमन, डॉ. एमएन रजवी, डॉ. ललित किशोर सहित कई अन्य शिक्षक और छात्र भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. दिलीप कुमार यादव और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. धीरेंद्र कुमार सिंह ने किया। इस संगोष्ठी ने शोध विधियों के क्षेत्र में नए दृष्टिकोण प्रस्तुत किए और शोध के प्रति छात्रों और शिक्षकों के उत्साह को और बढ़ाया।