सूतक काल में बंद रहे मंदिरों के कपाट, चंद्र ग्रहण पर श्रद्धालुओं को स्नान-दान की हिदायत
- Post By Admin on Sep 07 2025
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जौनपुर : भाद्रपद पूर्णिमा और पितृ पक्ष के संयोग पर रविवार को लग रहे वर्ष 2025 के अंतिम चंद्र ग्रहण ने धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं को एक बार फिर जीवंत कर दिया है। देशभर में सूतक काल का पालन करते हुए प्रमुख मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं और श्रद्धालुओं को सावधानियां बरतने की सलाह दी जा रही है।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर स्थित मां शारदीय शक्ति पीठ मंदिर के कपाट दोपहर 12:19 बजे सूतक काल शुरू होते ही बंद कर दिए गए। मंदिर के महंत पंडित ओम प्रकाश तिवारी ने बताया कि ग्रहण के दौरान कोई भी धार्मिक अनुष्ठान या दर्शन संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा, "सूतक काल समाप्त होने के बाद सोमवार सुबह विशेष श्रृंगार और पूजन के उपरांत ही भक्तों के लिए कपाट पुनः खोले जाएंगे।"
इसी तरह महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के अकोले में स्थित लिंगेश्वर देवस्थान ट्रस्ट ने भी ग्रहण को देखते हुए विशेष निर्देश जारी किए हैं। ट्रस्ट के पुजारी धनंजय बालासाहेब क्षीरसागर ने कहा कि सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां रखनी चाहिए। उनके अनुसार, "ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें, धारदार वस्तुओं का उपयोग न करें और ध्यान-प्रार्थना में समय बिताएं। माना जाता है कि इससे शिशु पर ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।"
क्षीरसागर ने विज्ञान और अध्यात्म के दृष्टिकोण को जोड़ते हुए कहा कि विज्ञान ग्रहण को मात्र खगोलीय घटना बताता है, लेकिन अध्यात्म इसे ऊर्जा और मनोबल से जोड़ता है। उनके अनुसार, "ग्रहण के समय सकारात्मक चिंतन और मंत्र जप से मानसिक शांति और ऊर्जा संतुलन बनाए रखा जा सकता है।"
इस बीच, धार्मिक विद्वानों ने लोगों से अपील की है कि ग्रहण समाप्त होने तक भोजन और पूजन कार्य न करें। ग्रहणोपरांत स्नान और दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और ग्रहण दोष समाप्त होता है।
देश के कई हिस्सों में मंदिरों की घंटियां और आरती की आवाजें ग्रहण के बाद ही गूंजेंगी। तब तक भक्तों को घरों में ध्यान और साधना करने की सलाह दी गई है।