विपक्षी दल के राजभवन मार्च पर विधायकों के साथ पुलिस की तीखी नोकझोंक

  • Post By Admin on Jan 03 2025
विपक्षी दल के राजभवन मार्च पर विधायकों के साथ पुलिस की तीखी नोकझोंक

पटना : बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) पेपर लीक और अभ्यर्थियों पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज के खिलाफ बीते गुरुवार को विभिन्न विपक्षी दलों के सांसदों और विधायकों ने राजभवन तक मार्च निकाला। मार्च में शामिल नेताओं ने बिहार सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हुए बीपीएससी परीक्षा के पेपर लीक मामले की निष्पक्ष जांच, दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही और परीक्षा की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की। इस मार्च का नेतृत्व भाकपा-माले, सीपीआई, सीपीएम और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने किया। जिसमें माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, उपनेता सत्यदेव राम, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद, सीपीआई के रामरतन सिंह और सीपीएम के अजय कुमार शामिल थे। इस मार्च में आरा के सांसद सुदामा प्रसाद, विधान पार्षद शशि यादव, माले के विधायक संदीप सौरभ, अरुण सिंह, गोपाल रविदास, वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता और अन्य प्रमुख नेता भी शामिल थे। मार्च की शुरुआत दोपहर 2 बजे विधानसभा के समीप सत मूर्ति से हुई। प्रदर्शनकारियों ने जैसे ही मार्च शुरू किया, पटना प्रशासन ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाना शुरू कर दिया।

माले के पालीगंज विधायक संदीप सौरभ ने बैरिकेड को धक्का देकर तोड़ दिया। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने बाधाओं को पार करते हुए राजभवन की ओर बढ़ना शुरू किया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने विधायकों और उनके समर्थकों को रोकने के लिए बैनर छीनने और धक्का-मुक्की का सहारा लिया। इस दौरान आरा के सांसद सुदामा प्रसाद गिर पड़े और उनके पैर में हल्की चोट आई। इसके बावजूद, विधायक और प्रदर्शनकारी लगातार आगे बढ़ते रहे और बैरिकेड्स को पार करते हुए राजभवन तक पहुंचे। अंततः प्रशासन ने राजभवन के ठीक पहले मजबूत बैरिकेडिंग लगाई, लेकिन इसी बीच राज्यपाल के कार्यालय से वार्ता का प्रस्ताव आया। इसके बाद, विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए राजभवन पहुंचा, जहां उन्होंने अपनी मांगों को उठाया। विधायकों ने बीपीएससी पेपर लीक मामले की निष्पक्ष जांच, दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही और आगामी परीक्षाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की। उनका कहना था कि बीपीएससी परीक्षा में भ्रष्टाचार और धांधली ने छात्रों का भविष्य दांव पर लगा दिया है और सरकार को इस मामले में गंभीर कदम उठाने चाहिए।