परिधि से बाहर : रजनीश

  • Post By Admin on Mar 18 2018
परिधि से बाहर : रजनीश

सड़क के किनारे खुले आकाश के नीचे सिसकता है एक नागफनी !
रोज मातम मनाता है और एक दिन सिर उठाकर पूछता है आकाश से कि
मैंने कौन – सा ऐसा पाप किया जो मुझे निकाल दिया गया फूलों के बाग से |
क्या मेरे काँटे चुभते है सबके दिल में ?
अरे | अगर काँटे ही मेरे निर्वासन का कारण है
तो निकाल दो उस गुलाब को भी फूलों के बाग से |
@रजनीश