परिधि से बाहर 2 : रजनीश

  • Post By Admin on Mar 18 2018
परिधि से बाहर 2 : रजनीश

निःशब्दता की रात में, वायु की सन-सन गति निस्तब्ध,
एकांत और सन्नत मन की नीरवता विबुधापगा में लीन,
किसी अनजान दीप्ती-प्रभा की खोज में लोकायत को चुनौती देती है |
रात सचमुच एक रहस्य लगती है |