जानिए मनमोहन सिंह की कौन सी आदत ने सुनामी से किया था अलर्ट
- Post By Admin on Dec 27 2024

नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके कार्यकाल की कई महत्वपूर्ण घटनाएँ और किस्से सामने आ रहे हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण घटना 2004 की सुनामी से जुड़ी है। जब मनमोहन सिंह की एक आदत ने उन्हें समय रहते संकट का एहसास दिलाया और उन्होंने तत्काल प्रभाव से सरकार को सक्रिय किया।
सुबह की आदत ने किया अलर्ट
मनमोहन सिंह की आदत थी कि वह सुबह जल्दी उठकर न्यूज़ सुनते थे। यह आदत उनके दिन की शुरुआत होती थी और उनके कार्यालय के लोग भी इसे जानते थे। संजय बारू द्वारा लिखी गई किताब ‘The Accidental Prime Minister’ में इस बात का उल्लेख किया गया है कि मनमोहन सिंह के पास सुनामी से संबंधित सूचना सबसे पहले न्यूज से आई थी, जो डिजास्टर मैनेजमेंट और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संस्थाओं से पहले थी।
सुनामी के बारे में समय रहते जानकारी मिली
किताब के अनुसार जब मनमोहन सिंह ने 2004 की सुनामी की खबर सुनी तो उन्होंने तुरंत अपनी टीम को सतर्क किया। सुनामी के बारे में जानकारी मिलते ही उन्होंने बिना देर किए कैबिनेट सेक्रेटरी बीके चतुर्वेदी को सुबह-सुबह नींद से जगाया और तत्काल एक अहम मीटिंग बुलाई। इस बैठक में सुनामी के संकट से निपटने के लिए रणनीतियाँ बनाई गई। इस तरह, उनकी सूझबूझ और अलर्टनेस ने भारत सरकार को आपदा से निपटने के लिए समय रहते तैयार कर दिया था।
मनमोहन सिंह का आर्थिक योगदान
मनमोहन सिंह की यह एक और मिसाल है कि कैसे उन्होंने अपनी हर जिम्मेदारी को गंभीरता से लिया और देश की सेवा की। इसके अलावा, उनका कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण था। 1991 में जब उन्होंने पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री के रूप में पद संभाला तो भारतीय अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में थी। राजकोषीय घाटा, भुगतान संतुलन घाटा और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से देश की आर्थिक स्थिति बहुत नाजुक थी।
मनमोहन सिंह ने अपने साहसिक आर्थिक सुधारों के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। उन्होंने लाइसेंस राज को खत्म किया, निजीकरण को बढ़ावा दिया और देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक नए मुकाम पर पहुंचाया। उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है।
मनमोहन सिंह की यह आदत कि वह हर सुबह न्यूज सुनते थे ने देश को समय रहते सुनामी जैसी बड़ी आपदा से निपटने के लिए तैयार किया। उनके योगदान को सिर्फ आर्थिक सुधारों तक सीमित नहीं किया जा सकता बल्कि आपदा प्रबंधन जैसे मामलों में भी उनकी सूझबूझ और तत्परता ने उन्हें एक कुशल नेता के रूप में स्थापित किया। उनका कार्यकाल भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।