डॉ. मनमोहन सिंह : भारत के 14वें प्रधानमंत्री का गौरवमयी सफर
- Post By Admin on Sep 26 2024

नई दिल्ली : भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह, को उनके विचारशीलता और विद्वत्ता के लिए जाना जाता है। उनकी कार्यकुशलता और समर्पण ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशेष स्थान दिलाया है।
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक छोटे से गाँव गाह में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से 1948 में मेट्रिक की परीक्षा पास करके की। इसके बाद, उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहाँ 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। आगे, 1962 में, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल की डिग्री प्राप्त की। उनकी पुस्तक “भारत में निर्यात और आत्मनिर्भरता और विकास की संभावनाएं” में उन्होंने भारत की निर्यात आधारित व्यापार नीति की आलोचना की थी।
अकादमिक क्षेत्र में डॉ. सिंह का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षक के रूप में कार्य किया और यूएनसीटीएडी सचिवालय में कुछ वर्षों तक काम किया।
1971 में, डॉ. सिंह ने वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में अपनी सेवाएँ देना शुरू किया, और 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने वित्त मंत्रालय के सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री के सलाहकार, और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
1991 से 1996 तक, डॉ. मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री रहे, जिनकी आर्थिक सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनके नेतृत्व में, भारत ने एक नए आर्थिक युग की ओर कदम बढ़ाया, जो स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में एक निर्णायक समय था।
डॉ. सिंह को कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है, जिनमें पद्म विभूषण (1987), भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995), और वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994) शामिल हैं। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्हें एडम स्मिथ पुरस्कार (1956) और सेंट जॉन्स कॉलेज से राइट पुरस्कार (1955) भी प्राप्त हुए।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, डॉ. सिंह ने कई संगठनों और सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें 1993 में साइप्रस में राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक और वियना में मानवाधिकार पर हुए विश्व सम्मेलन शामिल हैं।
राजनीतिक क्षेत्र में, डॉ. सिंह 1991 से भारतीय संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) के सदस्य रहे, जहाँ वे 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता के रूप में कार्यरत रहे। 22 मई 2004 को, उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और 22 मई 2009 को पुनः प्रधानमंत्री बने।
डॉ. मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर के तीन बेटियाँ हैं, जो उनके परिवार का अहम हिस्सा हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान का प्रतीक है, बल्कि यह एक समृद्ध और विविध भारत के विकास का भी प्रतीक है।