बिहार में भाजपा की अभूतपूर्व बढ़त : टूटेगा 45 साल का रिकॉर्ड, एनडीए 200 पार
- Post By Admin on Nov 14 2025
नई दिल्ली : बिहार की राजनीति में आज एक ऐतिहासिक पल दर्ज होने जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधानसभा चुनावों में अब तक के सबसे बड़े उभार के साथ सामने आती दिख रही है। चुनाव आयोग के शुरुआती रुझानों के मुताबिक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 200 से अधिक सीटों पर आगे है—जो बहुमत के लिए जरूरी 122 सीटों के आंकड़े को बहुत पीछे छोड़ देता है।
भाजपा अकेले 93 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जो पिछले 45 वर्षों में बिहार में पार्टी के सबसे प्रचंड प्रदर्शन का संकेत है। यह बढ़त साफ बता रही है कि राज्य का राजनीतिक रुझान एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रहा है।
बीजेपी की वापसी से लेकर ऐतिहासिक बढ़त तक का सफर
2010 में एनडीए ने बिहार में 206 सीटें जीतकर अपनी सबसे बड़ी सफलता दर्ज की थी, जिसमें भाजपा के खाते में 91 सीटें आई थीं। लेकिन 2015 में महागठबंधन की सुनामी के आगे भाजपा 53 सीटों पर सीमित रह गई।
2020 में मुकाबला बेहद कांटे का रहा—एनडीए 125 सीटों के साथ बहुमत तो ले आया, लेकिन राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी। भाजपा 74 पर रही और जद (यू) 43 पर सिमट गई।
परंतु 2025 के रुझान इस राजनीतिक पैटर्न को उलटते दिख रहे हैं। भाजपा न सिर्फ अपनी पुरानी जमीन वापस लेती दिख रही है, बल्कि राजद और जद (यू) दोनों को पीछे छोड़ते हुए चुनावी परिदृश्य पर निर्णायक पकड़ बनाती नजर आ रही है।
ऐतिहासिक परफॉर्मेंस का रिकॉर्ड करीब
बीजेपी के पुराने चुनावी आंकड़े देखें—
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2005: 37 सीटें
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2000: 67 सीटें
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1995: 41 सीटें
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1990: 39 सीटें
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1985: 16 सीटें
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1980: 21 सीटें
इन सबके मुकाबले 2025 के रुझान पार्टी के लिए एक नए राजनीतिक शिखर की ओर इशारा कर रहे हैं।
एनडीए में शक्ति-संतुलन के नए संकेत
अगर यह बढ़त नतीजों में बदलती है, तो शुक्रवार का दिन भाजपा के लिए बिहार में अब तक का सबसे निर्णायक अध्याय लिखेगा। साथ ही, एनडीए के अंदर भी समीकरणों का पुनर्गठन तय माना जा रहा है—जहां भाजपा की भूमिका पहले से कहीं अधिक प्रभावशाली होगी।
राज्य की राजनीति के लिए यह बदलाव एक नए दौर की शुरुआत माना जा रहा है, जो आने वाले दिनों में शासन, नेतृत्व और रणनीति—सब पर दूरगामी असर छोड़ सकता है।