टैरिफ से मजबूत हुई अमेरिकी अर्थव्यवस्था, आया खरबों डॉलर का राजस्व : ट्रंप
- Post By Admin on Sep 01 2025

वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उनके प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 'खरबों डॉलर' आए हैं और यह कदम अमेरिका को फिर से मजबूत और सम्मानित बना रहा है। ट्रंप ने अपने 'व्यापार एजेंडे' का जोरदार बचाव करते हुए कहा कि इन टैरिफ ने न केवल अमेरिकी उद्योगों को सुरक्षा दी है बल्कि विदेशी देशों से राजस्व भी बढ़ाया है, जिन्होंने दशकों तक अमेरिका का अनुचित रूप से फायदा उठाया।
यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी संघीय अपीलीय न्यायालय ने ट्रंप की टैरिफ नीति को चुनौती देते हुए यह निर्णय सुनाया कि उन्होंने कांग्रेस की मंजूरी के बिना शुल्क लगाकर अपने राष्ट्रपति पद के अधिकारों का अतिक्रमण किया। अदालत ने साफ कहा कि शुल्क और कराधान का अधिकार विशेष रूप से कांग्रेस के पास है और यह उसके संवैधानिक अधिकारों का हिस्सा है। अदालत ने खास तौर पर ट्रंप द्वारा 1977 के 'इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट' (आईईईपीए) के इस्तेमाल को सीमित बताया और कहा कि यह अधिनियम राष्ट्रपति को केवल कुछ आपातकालीन शक्तियां देता है, लेकिन इसमें टैरिफ या कर लगाने का अधिकार शामिल नहीं है।
ट्रंप ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा, "अमेरिका में कीमतें बहुत कम हैं, मुद्रास्फीति लगभग शून्य है। ऊर्जा की कीमतें तेजी से गिर रही हैं और पेट्रोल कई वर्षों के निचले स्तर पर है। यह सब शानदार टैरिफ के बावजूद हुआ है, जो उन देशों से खरबों डॉलर ला रहे हैं जिन्होंने दशकों तक हमारा फायदा उठाया।" उन्होंने यह भी कहा कि पवन चक्की जैसी 'भ्रष्ट नीतियों' के विपरीत, उनके कदमों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्थिर और मजबूत किया है।
अदालत के फैसले के मुताबिक यह आदेश तुरंत प्रभावी नहीं होगा। इसे 14 अक्टूबर तक स्थगित किया गया है ताकि प्रशासन को अपील करने का मौका मिल सके। ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह इस मामले को अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय तक ले जाएंगे। उनका कहना है कि यह फैसला राष्ट्रपति के उस संवैधानिक अधिकार को कमजोर करता है जिसके तहत वह राष्ट्रीय आर्थिक हितों की रक्षा के लिए आपातकालीन कदम उठा सकते हैं।
ध्यान देने योग्य है कि स्टील और एल्युमीनियम पर लगे टैरिफ, जो एक अलग कानून के तहत लागू किए गए थे, इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगे और फिलहाल प्रभावी रहेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सर्वोच्च न्यायालय भी अपीलीय अदालत के फैसले को बरकरार रखता है, तो अमेरिकी राष्ट्रपति की शक्तियों पर व्यापक असर पड़ेगा और भविष्य में किसी भी राष्ट्रपति के लिए कांग्रेस की मंजूरी के बिना टैरिफ लगाना मुश्किल हो जाएगा।
ट्रंप के इस दावे और अदालत के फैसले ने अमेरिकी राजनीति और अर्थव्यवस्था में नई बहस छेड़ दी है। जहां ट्रंप समर्थक इसे 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का हिस्सा मानते हैं, वहीं उनके आलोचक इसे 'एकतरफा और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन' बताते हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा न केवल अमेरिकी न्यायपालिका बल्कि चुनावी राजनीति में भी प्रमुख भूमिका निभा सकता है।