चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से होगी शुरू, जानिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

  • Post By Admin on Mar 26 2025
चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से होगी शुरू, जानिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि 2025 इस बार 30 मार्च से शुरू हो रही है। नवरात्रि का यह पर्व मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की आराधना का विशेष अवसर होता है। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा अपने भक्तों के घर पधारती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

इस बार चैत्र नवरात्रि विशेष संयोग लेकर आ रही है, जिसमें पूरे नौ दिन नहीं बल्कि आठ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना की जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि का अर्थ होता है 'नौ रातें', जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की विधिपूर्वक पूजा होती है।

घटस्थापना से होगी नवरात्रि की शुरुआत

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना यानी कलश स्थापना से होती है। यह पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसे शुभ मुहूर्त में करना अनिवार्य है। इस वर्ष 30 मार्च को घटस्थापना के दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।

  • पहला मुहूर्त: सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
  • दूसरा मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।

पंडितों के अनुसार, इन दोनों ही समय में कलश स्थापना करना बेहद शुभ माना गया है।

घटस्थापना और पूजा विधि

  • सर्वप्रथम पूजा स्थल को शुद्ध और साफ करें।
  • मिट्टी के पात्र में शुद्ध मिट्टी डालकर उसमें जौ बोएं।
  • उसी मिट्टी के पात्र में कलश स्थापित करें। कलश में गंगाजल भरें।
  • कलश में सुपारी, हल्दी की गांठ, लौंग, दूर्वा, और एक रुपये का सिक्का डालें।
  • कलश के मुख पर आम के पांच पत्ते रखें और नारियल स्थापित करें।
  • मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर कलश की पूजा करें।
  • प्रतिदिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करके व्रत का पालन करें।

इन देवी स्वरूपों की होगी पूजा

नवरात्रि के आठ दिनों में मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से साधक को सुख-समृद्धि, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

नोट: घटस्थापना में किसी भी प्रकार की गलती करने से दोष लगता है, इसलिए मुहूर्त और विधि का विशेष ध्यान रखें।