दिल्ली चुनाव में पुरानी घोड़ी, नई चाल पर दांव, 20 सीटों पर दलबदलुओं की परीक्षा

  • Post By Admin on Jan 23 2025
दिल्ली चुनाव में पुरानी घोड़ी, नई चाल पर दांव, 20 सीटों पर दलबदलुओं की परीक्षा

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार 'पुरानी घोड़ी, नई चाल' का बड़ा दांव देखने को मिल रहा है। आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने करीब 20 सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है जो हाल ही में दूसरी पार्टियों से आकर इन दलों में शामिल हुए हैं। दलबदल का यह चलन चुनावी राजनीति में नया नहीं है, लेकिन इस बार दिल्ली में यह चुनावी समीकरणों को दिलचस्प बना रहा है।

'आप' ने दलबदलुओं पर खेला बड़ा दांव

अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने इस बार बड़ी संख्या में भाजपा और कांग्रेस छोड़कर आए नेताओं को टिकट दिया है। पार्टी ने अपने कई मौजूदा विधायकों का टिकट काटकर इन नए चेहरों पर भरोसा जताया है। पटेल नगर (एससी) सीट से भाजपा के पूर्व नेता प्रवेश रतन को उतारा गया है। शाहदरा से जितेंद्र कुमार शंटी, तिमारपुर से सुरेंद्र पाल बिट्टू को मौका दिया गया है। छतरपुर से ब्रह्म सिंह तंवर, लक्ष्मी नगर से बीबी त्यागी और किराड़ी से अनिल झा को टिकट मिला है।

पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर आए नेताओं को भी टिकट दिया है। सीमापुरी से वीर सिंह धींगान, मटियामहल से सुमेश शौकीन और सीलमपुर से जुबैर अहमद को मौका दिया गया है।

भाजपा का दांव: आप और कांग्रेस से आए चेहरों पर भरोसा

भाजपा ने भी इस बार 'आप' और कांग्रेस छोड़कर आए नेताओं पर दांव खेला है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली को गांधीनगर से टिकट दिया गया है। आप के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत को बिजवासन से उतारा गया है। कांग्रेस से आए राज कुमार चौहान को मंगोलपुरी, नीरज बसोया को कस्तूरबा नगर और तरविंदर सिंह मारवाह को जंगपुरा से उम्मीदवार बनाया गया है।

कांग्रेस ने 'आप' छोड़ने वालों को दी प्राथमिकता

कांग्रेस ने इस बार 'आप' छोड़ने वाले नेताओं पर भरोसा जताया है। धर्मपाल लाकड़ा को मुंडका, अब्दुल रहमान को सीलमपुर और राजेश गुप्ता को किराड़ी से उम्मीदवार बनाया गया है। आप के पूर्व विधायक देवेंद्र सहरावत और हाजी इशराक को बिजवासन और बाबरपुर से टिकट मिला है।

दलबदलुओं के सामने चुनौतियां

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दलबदलुओं के लिए जनता का विश्वास जीतना आसान नहीं होगा।

● नई पार्टी में तालमेल: जिस पार्टी और कार्यकर्ताओं के खिलाफ उन्होंने पहले चुनाव लड़ा, अब उनके साथ तालमेल बिठाना बड़ी चुनौती है।

● जनता का भरोसा: जनता को यह समझाना कि उन्होंने पार्टी क्यों बदली और नई पार्टी में रहकर वे उनके हित कैसे साधेंगे एक मुश्किल कार्य है।

● कार्यकर्ताओं की स्वीकार्यता: नई पार्टी के कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल करना भी महत्वपूर्ण है।

दिल्ली चुनाव का समीकरण

इस बार दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। जहां आप चौथी बार सरकार बनाने की कोशिश में जुटी है। वही, भाजपा दिल्ली में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। जबकि कांग्रेस अपना खोया जनाधार वापस पाने की कोशिश कर रही है।

गौरतलब हो कि, दिल्ली की सभी 70 सीटों पर 5 फरवरी को मतदान होगा और नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे।