यमुना में जहर मिलाने के बयान पर घिरे केजरीवाल, चुनाव आयोग ने मांगे ठोस सबूत
- Post By Admin on Jan 30 2025

नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का यमुना नदी में जहर मिलाने का बयान अब उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। चुनाव आयोग (ECI) उनके जवाब से संतुष्ट नहीं है और उसने उन्हें 31 जनवरी सुबह 11 बजे तक ठोस सबूतों के साथ जवाब देने को कहा है।
इस मामले में केजरीवाल के खिलाफ कानूनी कार्यवाई भी शुरू हो गई है। भाजपा ने उनकी टिप्पणी को भ्रामक और समाज में अव्यवस्था फैलाने वाला करार दिया था। जिसके बाद चुनाव आयोग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। अब आयोग ने उनके जवाब को अपर्याप्त मानते हुए पांच नए सवाल पूछे हैं और स्पष्ट प्रमाण मांगे हैं।
क्या है पूरा मामला?
अरविंद केजरीवाल ने 29 जनवरी को एक बयान में आरोप लगाया था कि हरियाणा की भाजपा सरकार ने यमुना के पानी में जहर मिला दिया था। उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के इंजीनियरों ने इसे रोकने की कोशिश नहीं की होती तो राजधानी में "नरसंहार" जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती थी।
उनके इस बयान के बाद भाजपा ने चुनाव आयोग से शिकायत की। भाजपा का कहना है कि केजरीवाल ने झूठा और भ्रामक दावा करके जनता को गुमराह करने की कोशिश की।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया और 5 अहम सवाल
चुनाव आयोग ने केजरीवाल के पहले दिए गए जवाब को पढ़ने के बाद कहा कि वे यमुना में अमोनिया की अधिकता को नदी में "जहर मिलाने" के अपने आरोप से अलग रखें। आयोग ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया यह बयान समाज में दुश्मनी और असंतोष भड़काने वाला हो सकता है।
चुनाव आयोग ने केजरीवाल से पांच सवाल पूछे हैं:
● हरियाणा सरकार ने यमुना में किस प्रकार का जहर मिलाया?
● इस जहर की मात्रा और प्रकृति क्या थी? यह कैसे पता चला कि इससे नरसंहार हो सकता था? सबूत दें।
● किस स्थान पर जहर मिलाया गया?
● दिल्ली जल बोर्ड के किन इंजीनियरों ने इस जहर का पता लगाया और उन्होंने इसे कैसे पहचाना?
● दिल्ली जल बोर्ड ने पानी को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए क्या तरीका अपनाया?
आयोग ने केजरीवाल को निर्देश दिया है कि वे अपने दावे के समर्थन में ठोस तथ्य और वैज्ञानिक प्रमाण पेश करें।
केजरीवाल का जवाब: अमोनिया बढ़ने का हवाला
अरविंद केजरीवाल ने अपने 14 पन्नों के जवाब में कहा कि उनकी टिप्पणी दिल्ली में पेयजल की गुणवत्ता को लेकर उत्पन्न "तत्काल सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट" के संदर्भ में थी। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा से आने वाले कच्चे पानी में अमोनिया का स्तर इतना अधिक था कि दिल्ली के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट उसे इंसानों के पीने के लिए सुरक्षित नहीं बना सके।
केजरीवाल ने अपने बयान में "जहर" शब्द के इस्तेमाल को सही ठहराते हुए कहा कि अमोनिया का उच्च स्तर जनता के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि "नरसंहार" जैसी स्थिति कैसे उत्पन्न हो सकती थी।
भाजपा और अन्य दलों की प्रतिक्रिया
भाजपा ने केजरीवाल के इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया है और इसे चुनावी माहौल में लोगों को भ्रमित करने की चाल बताया है। पार्टी ने कहा कि केजरीवाल को ऐसे "गंभीर और भ्रामक" आरोप लगाने से पहले वैज्ञानिक आधार और ठोस सबूत देने चाहिए।
इस बीच, कांग्रेस ने भी केजरीवाल की आलोचना करते हुए कहा कि वह दिल्ली के पानी की समस्या पर राजनीति कर रहे हैं। जबकि जल संकट को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।