शख्सियत बेमिसाल: अरुण जेटली – वाकपटुता से विपक्ष को किया शांत, आर्थिक सुधारों से लिखी नई इबारत

  • Post By Admin on Aug 24 2025
शख्सियत बेमिसाल: अरुण जेटली – वाकपटुता से विपक्ष को किया शांत, आर्थिक सुधारों से लिखी नई इबारत

नई दिल्ली : भारतीय राजनीति में अरुण जेटली वह नाम हैं, जिन्हें उनकी तेज-तर्रार वकालत, प्रभावशाली वक्तृत्व और आर्थिक सुधारों के लिए सदैव याद किया जाएगा। उनकी शख्सियत ऐसी थी कि वे न केवल संसद में विपक्ष को तर्कों से परास्त कर देते थे, बल्कि अपने शायराना अंदाज़ और सौम्यता से विरोधियों का दिल भी जीत लेते थे।

शैक्षणिक और कानूनी पृष्ठभूमि
28 दिसंबर 1952 को दिल्ली में जन्मे अरुण जेटली एक प्रतिष्ठित पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार से थे। उनके पिता महाराज किशन जेटली जाने-माने वकील थे। विरासत में मिली वकालत की कला और दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई ने उनके करियर की नींव रखी। 1977 से उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की और जल्द ही अपने तर्कों की धार से कानूनी जगत में प्रतिष्ठा हासिल की।

राजनीतिक जीवन की शुरुआत
जेटली की राजनीति में एंट्री 1970 के दशक में जय प्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से हुई। 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बने और आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में रहे। इस दौर ने उनकी संगठनात्मक क्षमता और नेतृत्व कौशल को उजागर किया। आपातकाल के बाद जनता पार्टी से जुड़े और 1980 में भाजपा की स्थापना के साथ पार्टी में शामिल होकर राष्ट्रीय राजनीति का अहम हिस्सा बने।

भाजपा का उदारवादी चेहरा
1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण, विनिवेश और बाद में कानून मंत्री के रूप में जेटली ने अपनी प्रशासनिक क्षमता साबित की। वे भाजपा के भीतर एक उदारवादी चेहरा थे, जो विभिन्न विचारधाराओं को जोड़ने और विपक्ष से संवाद कायम करने में माहिर माने जाते थे।

विपक्ष के नेता और संसद की गूंज
2004 से 2014 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में वे भाजपा की सबसे मजबूत आवाज बने। उनकी तार्किकता, शालीनता और धारदार भाषणों ने उन्हें संसद में सम्मानित व्यक्तित्व बनाया। विरोधी भी उनके तथ्यपूर्ण भाषण और विनम्र व्यवहार की सराहना करते थे।

आर्थिक सुधारों के सूत्रधार
2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के वित्त मंत्री बनने के बाद जेटली ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही। उन्होंने विभिन्न राज्यों को साथ लाकर इसे हकीकत बनाया। नोटबंदी जैसे साहसिक फैसले में भी उनकी रणनीतिक भूमिका अहम रही। आलोचनाओं के बावजूद जेटली ने हर तर्क का जवाब धैर्य और तथ्यों के साथ दिया।

व्यक्तित्व और निजी जीवन
अरुण जेटली केवल राजनेता ही नहीं, बल्कि विचारक, लेखक और ब्लॉगर भी थे। उन्होंने अपने लेखन से जटिल आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों को सरल भाषा में जनता तक पहुँचाया। उनकी सौम्यता, बौद्धिक गहराई और हास्यबोध ने उन्हें जनता और सहयोगियों के बीच प्रिय बना दिया। पारिवारिक जीवन में उनकी पत्नी संगीता जेटली और दो बच्चे उनके सहारा थे।

अंतिम पड़ाव और विरासत
स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने 2019 में मंत्री पद से हटने का निर्णय लिया। 24 अगस्त 2019 को वे 66 वर्ष की आयु में इस दुनिया से विदा हो गए। लेकिन उनकी विरासत—संसद के प्रभावशाली भाषण, आर्थिक सुधारों की ऐतिहासिक नीतियां और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पण—हमेशा देश को प्रेरित करते रहेंगे।

अरुण जेटली की शख्सियत इस बात का प्रमाण है कि राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं, बल्कि विचार, तर्क और राष्ट्रहित के लिए निरंतर संघर्ष है। वे भारतीय राजनीति में एक ऐसी आवाज थे, जिसे न केवल सुना गया बल्कि आदर के साथ स्वीकार भी किया गया।