चावल का मांड : एक ऐसा आयुर्वेदिक टॉनिक, जो तन और मन दोनों का रखे ख्याल
- Post By Admin on Nov 17 2025
नई दिल्ली : चावल का मांड, जिसे अक्सर साधारण उबले चावल का पानी समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, वास्तव में आयुर्वेद का एक शक्तिशाली प्राकृतिक टॉनिक माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ पाचन को दुरुस्त रखने और त्वचा को निखारने में भी बेहद प्रभावी है।
चावल उबालने के दौरान उसमें मौजूद स्टार्च, विटामिन और महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ पानी में घुल जाते हैं। यही पानी, मांड के रूप में, शरीर को तत्काल शक्ति और हाइड्रेशन देने वाला पोषक द्रव बन जाता है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों में मांड को ‘पेया’ यानी द्रव भोजन की श्रेणी में रखा गया है। इसे हल्का, जल्दी पचने वाला और बीमारी या कमजोरी के बाद ताकत लौटाने वाला सर्वोत्तम आहार माना जाता है। जठराग्नि कमजोर होने, थकान, निर्जलीकरण या बुखार के बाद रिकवरी में यह बेहद सहायक बताया गया है।
मौसम के अनुसार इसके सेवन का तरीका भी बदल जाता है। गर्मियों में ठंडा मांड शरीर को शीतलता और ताज़गी देता है, जबकि सर्दियों में गुनगुना मांड ताकत और गर्माहट प्रदान करता है। इसे घी, नमक, जीरा, अदरक या नींबू मिलाकर और अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है।
सौंदर्य लाभ के मामले में भी मांड किसी सस्ते और प्राकृतिक स्किन-हेयर टॉनिक से कम नहीं है। इसमें मौजूद प्राकृतिक स्टार्च और एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को नरम, युवा और चमकदार बनाते हैं। साथ ही, बालों की जड़ों को पोषण देकर रूखापन कम करते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे, वृद्ध और रोगी—सभी इसे सुरक्षित रूप से ले सकते हैं। उल्टी, दस्त, ज्वर या सामान्य कमजोरी की स्थिति में यह तत्काल ऊर्जा प्रदान करने वाला संतुलित हल्का भोजन है।
आयुर्वेद मानता है कि नियमित रूप से मांड का सेवन शरीर को भीतर से मजबूत करता है, मन को शांत रखता है और दीर्घायु में भी सहायक होता है।