नहीं रहे दिग्गज वैज्ञानिक राजगोपाल चिदंबरम, भारत को परमाणु शक्ति बनाने में निभाई थी अहम भूमिका

  • Post By Admin on Jan 04 2025
नहीं रहे दिग्गज वैज्ञानिक राजगोपाल चिदंबरम, भारत को परमाणु शक्ति बनाने में निभाई थी अहम भूमिका

नई दिल्ली : भारत के परमाणु कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले महान वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का शनिवार को निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे। परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) ने उनके निधन की जानकारी देते हुए कहा कि मुंबई के जसलोक अस्पताल में 4 जनवरी, शुक्रवार देर रात को 3:20 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। डॉ. चिदंबरम के निधन से भारत ने न केवल एक महान वैज्ञानिक बल्कि एक प्रेरणादायक नेता और दूरदर्शी व्यक्तित्व को खो दिया।

परमाणु शक्ति के निर्माण में अहम योगदान

डॉ. चिदंबरम का नाम भारत के परमाणु कार्यक्रम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। 1974 में देश के पहले परमाणु परीक्षण (स्माइलिंग बुद्धा) और 1998 में पोखरण-2 परमाणु परीक्षण में उनकी भूमिका बेहद अहम रही। पोखरण-2 परीक्षण के दौरान उन्होंने डीएई की टीम का नेतृत्व किया, जिसने भारत को वैश्विक मंच पर एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

डीएई के सचिव अजीत कुमार मोहंती ने चिदंबरम के निधन को एक अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा, ‘‘डॉ. चिदंबरम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी थे, जिनके योगदान ने भारत की परमाणु क्षमता और रणनीतिक आत्मनिर्भरता को बढ़ाया। उनका निधन वैज्ञानिक समुदाय और राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है।’’

डीएई ने कहा कि चिदंबरम को ‘‘एक अग्रणी, प्रेरणादायक नेता और अनगिनत वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों के लिए एक समर्पित मार्गदर्शक’’ के रूप में याद किया जाएगा। इसने कहा, ‘‘दुख की इस घड़ी में हम उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।’’

शैक्षिक और पेशेवर जीवन

डॉ. चिदंबरम का जन्म 1936 में हुआ। उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान से शिक्षा प्राप्त की। उनके करियर का सफर कई प्रतिष्ठित पदों पर सेवाओं से भरा रहा। वे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के निदेशक (1990-1993), परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और डीएई के सचिव (1993-2000), और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (2001-2018) जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे।

वैज्ञानिक उपलब्धियां

डॉ. चिदंबरम को उच्च दाब भौतिकी, क्रिस्टल विज्ञान और पदार्थ विज्ञान के क्षेत्र में उनके शोध कार्यों के लिए जाना जाता है। उनके अग्रणी अनुसंधानों ने न केवल भारतीय वैज्ञानिक समुदाय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विज्ञान के क्षेत्र में नई दिशा दी।

उन्होंने भारत में सुपर कंप्यूटर के स्वदेशी विकास की पहल की और राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) की संकल्पना प्रस्तुत की, जिसने देश भर के शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों को जोड़ा। ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और सामरिक आत्मनिर्भरता के क्षेत्रों में उनकी पहल ने भारत के वैज्ञानिक परिदृश्य को नया आयाम दिया।

सम्मान और पुरस्कार

डॉ. चिदंबरम को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें 1975 में पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण से नवाजा गया। इसके अलावा, उन्हें कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली।

डॉ. चिदंबरम को एक प्रेरणादायक नेता और वैज्ञानिकों के लिए मार्गदर्शक के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्य समूह और सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन एंड सिक्योरिटी जैसी पहलों के जरिए विज्ञान और तकनीक को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का प्रयास किया। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने की प्रेरणा देती रहेगी।