एक द्वीप-एक रिसोर्ट : भारत का नया पर्यटन मॉडल, मालदीव पर मंडराया खतरा

  • Post By Admin on Jan 03 2025
एक द्वीप-एक रिसोर्ट : भारत का नया पर्यटन मॉडल, मालदीव पर मंडराया खतरा

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने देश के द्वीपों पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 'एक द्वीप, एक रिसॉर्ट' योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप और दमन-दीव जैसे द्वीपीय क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन केंद्र विकसित किए जाएंगे। यह योजना न केवल भारत में पर्यटन को नई ऊंचाई देगी, बल्कि मालदीव जैसे पर्यटन-निर्भर देशों के लिए चुनौती भी बन सकती है।

क्या है 'एक द्वीप, एक रिसॉर्ट' योजना?

केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक, इस योजना के तहत देश के अपतटीय द्वीपों की पहचान कर उन्हें इको-टूरिज्म के केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा। हर द्वीप पर एक रिसॉर्ट होगा, जहां भारतीय और विदेशी सैलानी प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकेंगे। मंत्रालय का उद्देश्य है कि इन द्वीपों पर पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए।

भारत में 1300 से अधिक अपतटीय द्वीप हैं, जिनमें से 289 चट्टानी द्वीप हैं। इन द्वीपों पर इको-टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। सरकार ने शुरुआती चरण में 10 द्वीपों का चयन किया है। जिनमें अंडमान-निकोबार के एवेस, लॉन्ग, स्मिथ और रॉस द्वीप और लक्षद्वीप के बंगाराम, चेरियाम और मिनिकॉय द्वीप शामिल हैं।

मालदीव के लिए खतरा क्यों?

मालदीव की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है। भारतीय द्वीपों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के रिसॉर्ट्स बनने से विदेशी सैलानी जो अब तक मालदीव जाते थे। वे सभी अब भारतीय द्वीपों की ओर आकर्षित हो सकते हैं। भारतीय द्वीपों पर रिसॉर्ट्स विकसित होने से सस्ती और बेहतर सुविधाएं मिलने की संभावना है जो मालदीव के पर्यटन उद्योग को झटका दे सकती है।

पर्यावरण संरक्षण पर जोर

सरकार ने इस योजना के तहत प्राकृतिक पारिस्थिति की तंत्र और जैव-विविधता को संरक्षित रखने का वादा किया है। 'एक द्वीप, एक रिसॉर्ट' मॉडल को इको-फ्रेंडली बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके तहत द्वीपों पर इको-कॉटेज, वाटर विला और समुद्रतटीय गांव बनाए जाएंगे।

सभी मंत्रालयों का समन्वय

इस योजना को लागू करने के लिए पर्यटन मंत्रालय के साथ गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों को भी शामिल किया गया है। नीति आयोग की एक पुरानी रिपोर्ट के आधार पर इस योजना को अंतिम रूप दिया गया है।

पहले चरण में 10 द्वीपों पर काम शुरू होगा। इसके बाद दूसरे चरण में 17 अन्य द्वीपों का चयन किया जाएगा।