जानिए बैसाख के दिनों में क्यों खाया जाता है सत्तू

  • Post By Admin on Apr 14 2023
जानिए बैसाख के दिनों में क्यों खाया जाता है सत्तू

डेस्क: 14 अप्रैल यानी आज के दिन बैसाखी का पर्व मनाया जाता है. बैसाखी को कई जगह पर सतुआन भी कहा जाता है. यह पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ है. इस दिन सत्तू खाने की परम्परा है. इस दिन ही सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है. सूर्य मेष की उच्च राशि है. सूर्य के मेष में पहुंचने से सौरवर्ष शुरू हो जाता है. शास्त्र के अनुसार मेष राशि को अग्नि तत्व की राशि मानी गई है. 

जानिए आज के दिन सत्तू खाने की परम्परा-
मेष संक्रांति पर जब सूर्य राशि में प्रवेश करते हैं तो गर्मी तेजी से बढ़ने लगती है. इसीलिए बैसाख और ज्येष्ठ महीने में शीतलता प्रदान करने वाली चीजों का दान और सेवन करने की पुरानी परम्परा है. ज्योतिशास्त्र में चने के सत्तू का सम्बन्ध सूर्य मंगल और गुरु से माना जाता है. इसलिए सूर्य के मेष राशि में आने पर सत्तू खाया जाता है. कहा जाता है कि आज के दिन सत्तू खाने और दान करने से सूर्य देव की कृपा बरसती है. बैसाखी के दिन में सत्तू के सेवन करने और दान करने से मृत्यु के बाद उत्तम लोक में स्थान मिलता है. सत्तू का दान करने से सूर्य,शनि,मंगल और गुरु इन चरों ग्रहों के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं. मेष संक्रांति पर दान-पुण्य, गंगा स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन भगवन सत्यनारायण भगवन की कथा भी सुनी जाती है. साथ ही कथा सुनने के बाद सत्तू का प्रसाद चढ़ाया जाता है. प्रसाद चढाने के बाद इसे बांटा जाता है. 

वहीं बता दें कि सिख समुदाय के लोग बैसाखी को नए साल के रूप में मनाते हैं. इसे फसलों का त्यौहार भी कहा जाता है. आज के दिन गंगा स्नान करने के बाद नई फसल काटने कि खुशी में सत्तू और आम का टिकोला भी खाय जाता है.