माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्त करते हैं सारी सिद्धियां प्राप्त
- Post By Admin on Oct 11 2024
 
                    
                    नई दिल्ली : सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैर सुरैरमरैरपि।
          सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
माँ दुर्गाजी की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। नव दुर्गाओंमें माँ सिद्धिदात्री अन्तिम हैं। नवरात्र-पूजन के नवें दिन इनकी उपासना की जाती है।अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा-उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नवें दिन इनकी उपासना में प्रवृत्त होते हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। मार्कण्डेयपुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व-ये आठ सिद्धियाँ होती हैं। ब्रह्मवैवर्त्तपुराण के श्रीकृष्ण जन्मखण्ड में यह संख्या अठारह बतायी गयी है। इनके नाम इस प्रकार हैं-
1. अणिमा, 2. लघिमा, 3. प्राप्ति, 4. प्राकाम्य, 5. महिमा, 6. ईशित्व, वशित्व, 7. सर्वकामावसायिता, 8.     सर्वज्ञत्व, 9. दूरश्रवण, 10. परकायप्रवेशन
11. वाक्सिद्धि, 12. कल्पवृक्षत्व, 13. सृष्टि, 14. संहारकरणसामर्थ्य, 15. अमरत्व, 16. सर्वन्यायकत्व
17. भावना, 18. सिद्धि
माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं।
देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वह लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप :
माँ सिद्धिदात्री का रंग कोटि सूर्य आभा के समान हैं। माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमलपुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचेवाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमलपुष्प है।
कौन सी मनोकामनाएं होती है पूरी :
इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करनेवाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिये अगम्य नहीं रह जाता। ब्रह्माण्ड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है। इनकी कृपा से भक्त अनन्त दुःख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। इन सिद्धिदात्री माँ की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक-पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
किस रंग के वस्त्र धारण करें :
इस दिन भक्तों को पूजा में काले रंग को छोड़कर कोई भी वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन पीले या हरे रंग के वस्त्र धारण करने से भक्तों को ज्ञान और बुद्धिमत्ता प्राप्त होती है।