पवार परिवार में सुलह की पहल, क्या शरद अजित होंगे फिर साथ
- Post By Admin on Jan 02 2025

मुंबई : महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आने की संभावना है। एनसीपी के संस्थापक शरद पवार और उनके भतीजे व राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बीच पिछले सालों से चली आ रही खींचतान अब सुलह की ओर बढ़ती नजर आ रही है। हाल ही में पवार परिवार और एनसीपी के नेताओं के बयानों ने इस दिशा में नए संकेत दिए हैं।
अजित पवार की मां आशा ताई ने पहले एकता की बात कही और कहा कि वह चाहती हैं कि उनके बेटे और शरद पवार अब साथ मिलकर राजनीति करें। फिर बारी अजित खेमे के ही प्रफुल्ल पटेल की थी, जिन्होंने शरद पवार को लेकर यहां तक कह दिया कि वह तो हमारे लिए देवता जैसे हैं। उन्होंने कहा कि हम राजनीतिक मतभेदों के चलते अलग हुए, लेकिन हमारे दिलों में शरद पवार के लिए उतना ही सम्मान है, जो पहले था। इन बयानों को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चाएं तेज हो गई हैं।
शरद पवार की पहल से शुरू हुई सुलह की कोशिशें
दरअसल इसकी शुरुआत अजित पवार खेमे से नहीं बल्कि शरद पवार गुट से ही हुई थी। बीते साल 14 दिसंबर को शरद पवार की पार्टी के विधायक और रिश्ते में उनके पोते रोहित पवार की मां सुनंदा का बयान आया था। सुनंदा पवार का कहना था कि यह जरूरी है कि अजित पवार और शरद पवार एक हो जाएं। राज्य और परिवार के लिए यह अच्छी बात होगी। इस तरह शरद पवार खेमे से ही एकता की पहल की गई थी, जिसे अजित पवार गुट ने भी मजबूती से उठाया है।
एकता के पीछे राजनीतिक गणित
महाराष्ट्र और एनसीपी की राजनीति को समझने वाले मानते हैं कि इन बयानों के पीछे अंदरखाने पक रही खिचड़ी है। दरअसल दोनों गुट भविष्य की राजनीति के लिए एकता चाहते हैं और पूरी संभावना है कि शरद पवार की इसमें हामी है। शरद पवार के एकता चाहने के भी कई कारण हैं। वह 84 वर्ष के हो चुके हैं और अगले विधानसभा चुनाव तक उनकी आयु 90 के करीब होगी। उनकी बेटी सुप्रिया सुले भले ही लगातार बारामती से सांसद चुनी जा रही हैं, लेकिन वह कोई जननेता नहीं बन सकी हैं। ऐसे में शरद पवार के बिना कैसे सुप्रिया सुले आगे बढ़ेंगी। यह चिंता की बात होगी। माना जा रहा है कि इसीलिए शरद पवार भतीजे के ही साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। इससे पार्टी मजबूत रहेगी और परिवार के भी सभी लोगों के लिए संभावना बनी रहेगी।
अजित पवार का बढ़ता प्रभाव
2024 के विधानसभा चुनावों में अजित पवार गुट ने 41 विधायकों को जिताने में सफलता पाई, जबकि शरद पवार का गुट कमजोर पड़ा। ऐसे में अजित पवार का साथ पार्टी को नई ताकत दे सकता है।
भाजपा को भी होगा फायदा
अगर पवार परिवार के दोनों गुट एक हो जाते हैं, तो भाजपा को भी इसका लाभ मिल सकता है। लोकसभा और विधानसभा दोनों में एनसीपी के सांसद और विधायक भाजपा के साथ आ सकते हैं, जिससे राज्य की राजनीति में भाजपा की स्थिति और मजबूत होगी।
आधिकारिक घोषणा का इंतजार
हालांकि शरद पवार और अजित पवार ने अभी तक एकता पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। माना जा रहा है कि पवार परिवार और नेताओं के जरिए माहौल तैयार किया जा रहा है, जिसके बाद उचित समय पर औपचारिक पहल हो सकती है।
पवार परिवार की यह सुलह न केवल महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित करेगी, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। अब देखना होगा कि यह एकता कब और किस रूप में सामने आती है।