जलवायु परिवर्तन ने उत्तराखंड की बागवानी पर डाला गहरा असर, फल उत्पादन में 44% गिरावट

  • Post By Admin on Oct 25 2024
जलवायु परिवर्तन ने उत्तराखंड की बागवानी पर डाला गहरा असर, फल उत्पादन में 44% गिरावट

क्लाइमेट ट्रेंड्स नामक संस्था की एक ताज़ा रिपोर्ट की मानें तो जलवायु परिवर्तन ने उत्तराखंड की बागवानी, खासकर उष्णकटिबंधीय फलों की खेती पर गहरा असर डाला है। यह हिमालयी राज्य, जो अपनी विविध जलवायु परिस्थितियों के लिए जाना जाता है, पिछले सात वर्षों में फलों की पैदावार में भारी गिरावट का सामना कर रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण हैं—बढ़ते तापमान, अनियमित बारिश और बार-बार आने वाली चरम मौसम घटनाएँ।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दीर्घकालिक वृद्धि चक्र और विशेष जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर होने के कारण, सदाबहार फलों की फसलें जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। गर्म सर्दियों, बारिश के बदलते पैटर्न और चरम मौसम घटनाओं ने फूलने, फल बनने और पकने की प्रक्रिया को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसका नतीजा ये हुआ कि 2016 से 2023 के बीच, उत्तराखंड में फलों की खेती का क्षेत्र 54% तक घट गया और कुल उपज में 44% की गिरावट आई।

विशेष रूप से आम, लीची और अमरूद जैसे ग्रीष्मकालीन फलों के लिए गंभीर चुनौतियाँ सामने आई हैं, जहां अत्यधिक गर्मी और बारिश में उतार-चढ़ाव के कारण फलों का जलना, फट जाना और फफूंद संक्रमण जैसी समस्याएँ बढ़ गई हैं। इसके अलावा, कीटों का बढ़ता प्रकोप और परागणकर्ता गतिविधियों में व्यवधान ने फलों की गुणवत्ता और बाज़ार में बिक्री पर भी असर डाला है।

फलों की पैदावार में गिरावट के साथ ही, रिपोर्ट में आपूर्ति श्रृंखला में भी बड़ी रुकावटों का जिक्र किया गया है। चरम मौसम की स्थितियों ने कटाई के बाद फलों के खराब होने की समस्या को बढ़ा दिया है, जिससे स्थानीय आपूर्ति शृंखलाओं पर दबाव पड़ा है और आयातित किस्मों पर निर्भरता बढ़ी है। इससे उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

हालांकि इन चुनौतियों के बावजूद, किसान जलवायु अनुकूल प्रथाओं को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे कम ठंड में उगने वाली सेब और आड़ू की किस्में लगा रहे हैं, साथ ही ड्रैगन फ्रूट और कीवी जैसे सूखा सहन करने वाले फलों की खेती कर रहे हैं। ये उपाय सकारात्मक संकेत देते हैं, लेकिन उत्तराखंड की बागवानी की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए निरंतर शोध, निवेश और रणनीतिक योजना की आवश्यकता होगी ताकि जलवायु संकट से निपटा जा सके।

यह रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड के फल उत्पादन क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखने के लिए तकनीकी और बाज़ार आधारित समाधान अपनाना ज़रूरी है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सके।

 @Climateकहानी