शिक्षक दिवस : डॉ. राधाकृष्णन के आदर्शों से प्रेरित परंपरा, शिक्षा को मानती है समाज सुधार का माध्यम

  • Post By Admin on Sep 04 2025
शिक्षक दिवस : डॉ. राधाकृष्णन के आदर्शों से प्रेरित परंपरा, शिक्षा को मानती है समाज सुधार का माध्यम

नई दिल्ली : ज्ञान के बिना जीवन अधूरा है, लेकिन इसे वास्तविक रूप से आकार देने का काम शिक्षक करते हैं। शिक्षक नई पीढ़ी को एक मजबूत भविष्य के लिए तैयार करते हैं, जिसमें उन्नति, संस्कार और सामाजिक समृद्धि समाहित होती है। भारतीय संतों ने भी गुरु की महत्ता को उजागर किया है। प्रसिद्ध दोहे में कहा गया है, "गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥"

भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। जबकि विश्व स्तर पर 5 अक्टूबर को 'विश्व शिक्षक दिवस' मनाया जाता है, भारत ने अपने शिक्षक दिवस के लिए डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को चुना। 1958 में शिक्षकों के योगदान को मान्यता देने की शुरुआत हुई, लेकिन औपचारिक तिथि 1960 के दशक में तय हुई, जब डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन पर छात्रों ने उन्हें बधाई दी। इस अवसर पर उन्होंने विनम्रता से कहा कि उनके जन्मदिन के बजाय शिक्षक दिवस मनाया जाए।

डॉ. राधाकृष्णन ने शिक्षा को केवल डिग्री हासिल करने का माध्यम नहीं, बल्कि समाजिक परिवर्तन का सशक्त उपकरण माना। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से समाज में नैतिक मूल्यों, समानता और लोकतांत्रिक विचारों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल में भारतीय दर्शन और संस्कृति की व्यापक समझ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली।

शिक्षक दिवस न केवल शिक्षकों के योगदान को याद करने का दिन है, बल्कि यह समाज में शिक्षा के महत्व और उसके माध्यम से परिवर्तन लाने की प्रेरणा भी देता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षक न केवल ज्ञान के वाहक हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।