गठिया से अल्सर तक में असरदार धातकी, वैज्ञानिक शोध और आयुर्वेदिक ग्रंथों में दर्ज अनोखे फायदे

  • Post By Admin on Aug 10 2025
गठिया से अल्सर तक में असरदार धातकी, वैज्ञानिक शोध और आयुर्वेदिक ग्रंथों में दर्ज अनोखे फायदे

नई दिल्ली : आधुनिक जीवनशैली और बढ़ते प्रदूषण के बीच प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियां लोगों के लिए एक बड़ी उम्मीद बनकर उभरी हैं। इन्हीं में से एक है आयुर्वेद में वर्णित औषधीय पौधा ‘धातकी’ (वैज्ञानिक नाम: वुडफोर्डिया फ्रुटिकोसा), जिसे ‘धवई’ और ‘बहुपुष्पिका’ के नाम से भी जाना जाता है। चमकीले लाल फूलों वाला यह पौधा भारत के लगभग सभी राज्यों में पाया जाता है और इसके फूल, फल, जड़ व छाल का उपयोग कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है।

अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (एनआईएच) के शोध के अनुसार, धातकी की पत्तियों में ऐसे यौगिक पाए जाते हैं जो ल्यूकोरिया, अनियमित मासिक धर्म, पेशाब में जलन और रक्तस्राव जैसी समस्याओं में लाभकारी हैं। यह पौधा गठिया, अल्सर, खांसी-बुखार और पाचन संबंधी रोगों में भी प्रभावी है। पशु चिकित्सा में भी इसका प्रयोग दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है।

चरक संहिता में धातकी को मूत्रवर्धक बताया गया है, वहीं आसव और अरिष्ट जैसी आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में यह किण्वन प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए अनिवार्य घटक माना जाता है। इसके फूलों का चूर्ण शहद या छाछ के साथ लेने से दस्त, पेचिश और बार-बार पेशाब जाने की समस्या में राहत मिलती है। घावों पर लेप के रूप में लगाने से रक्तस्राव रुकता है, सूजन कम होती है और संक्रमण से बचाव होता है।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ मानते हैं कि धातकी त्वचा रोगों के उपचार में भी उपयोगी है, लेकिन इसके सेवन या प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है, क्योंकि गलत मात्रा में लेने पर दुष्प्रभाव भी संभव हैं।