एमपॉक्स अब वैश्विक आपातकाल नहीं लेकिन सतर्कता बरकरार : डब्ल्यूएचओ
- Post By Admin on Sep 06 2025

जेनेवा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को कहा कि एमपॉक्स अब इंटरनेशनल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की श्रेणी में नहीं है। यह निर्णय अफ्रीका समेत प्रभावित देशों में मामलों और मौतों में आई गिरावट और स्वास्थ्य तंत्र की बेहतर तैयारी को देखते हुए लिया गया है।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने बताया कि आपातकालीन समिति ने हालिया समीक्षा में स्थिति को नियंत्रण में माना और आपातकाल खत्म करने की सिफारिश की, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा, "संक्रमण की प्रकृति को लेकर हमारी समझ बेहतर हुई है और प्रभावित देशों ने अपनी रिस्पॉन्स कैपेसिटी को मजबूत किया है।"
हालांकि, टेड्रोस ने यह भी स्पष्ट किया कि आपातकाल हटने का मतलब यह नहीं है कि खतरा पूरी तरह टल गया है। बच्चों और एचआईवी से संक्रमित लोगों के लिए यह बीमारी अब भी गंभीर जोखिम बनी हुई है।
अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (अफ्रीका सीडीसी) ने चेताया है कि महाद्वीप के कई देशों—जैसे घाना, लाइबेरिया, केन्या, जाम्बिया और तंजानिया—में एमपॉक्स के नए मामलों में तेजी देखी जा रही है। यही कारण है कि अफ्रीका सीडीसी ने इसे अब भी "महाद्वीपीय स्वास्थ्य आपातकाल" माना है।
एमपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और लिम्फ नोड्स में सूजन शामिल हैं, जिसके बाद शरीर पर दाने निकल आते हैं। अधिकतर मरीज कुछ हफ्तों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह गंभीर या घातक भी साबित हो सकती है।
मई 2022 से अब तक 100 से अधिक देशों में एमपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि हाल के हफ्तों में वैश्विक स्तर पर इसमें कमी आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार मॉनिटरिंग और सतर्कता बेहद जरूरी है।