फ्रीडम टू फीड अभियान को फिर से जीवंत कर रहीं नेहा धूपिया, कहा – बच्चे को दूध पिलाना शर्म की नहीं, गरिमा की बात है
- Post By Admin on Aug 04 2025

मुंबई : विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर अभिनेत्री, सामाजिक कार्यकर्ता और दो बच्चों की मां नेहा धूपिया ने एक बार फिर मातृत्व से जुड़े मुद्दों पर खुलकर अपनी आवाज बुलंद की है। ‘फ्रीडम टू फीड’ अभियान के तहत उन्होंने साफ कहा है कि “किसी भी महिला को सिर्फ इसलिए शर्मिंदा नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वह अपने बच्चे को स्तनपान कराना चाहती है। यह उसका अधिकार है और इसे गरिमा के साथ देखा जाना चाहिए।”
साल 2019 में शुरू हुआ ‘फ्रीडम टू फीड’ एक ऐसा पेरेंटिंग अभियान है जिसका उद्देश्य सार्वजनिक स्तनपान को सामाजिक रूप से स्वीकार्य बनाना और मातृत्व के निजी अनुभवों को बिना शर्म और झिझक के साझा करने को बढ़ावा देना है। इस अभियान की अगुवाई करने वाली नेहा खुद इसे अपने व्यक्तिगत अनुभव से जुड़ा बताती हैं।
उन्होंने कहा, “जब मैंने यह पहल शुरू की थी, तब मैं मां बनने के बाद बेहद असुरक्षित, अकेली और आलोचनाओं से घिरी महसूस कर रही थी। वह समय मेरे लिए सबसे मजबूत और स्वाभाविक होना चाहिए था, लेकिन समाज के नजरिए ने उसे बोझिल बना दिया।”
मातृत्व की कहानियां मिलकर बनाती हैं ताकत
नेहा ने जोर दिया कि पिछले कुछ वर्षों में उन्हें महसूस हुआ कि हजारों महिलाएं इसी तरह के मानसिक और सामाजिक दबाव से गुजरती हैं। “जब महिलाएं अपनी कहानियां साझा करती हैं, तो एकजुटता की ताकत सामने आती है। इस साल मैं इस अभियान को और मजबूत करना चाहती हूं, ताकि यह सिर्फ चर्चा नहीं, बल्कि बदलाव की आवाज बने।”
उन्होंने यह भी कहा कि “यह सिर्फ एक मेडिकल या बायोलॉजिकल जरूरत नहीं, बल्कि गरिमा और सम्मान का मामला है। यह वक्त है जब हमें सामूहिक रूप से खड़ा होना चाहिए ताकि कोई भी मां अपने मातृत्व को लेकर असहज महसूस न करे।”
नेहा का पारिवारिक और फिल्मी सफर
नेहा धूपिया ने 2018 में अभिनेता अंगद बेदी से शादी की थी। उसी साल नवंबर में उन्होंने बेटी मेहर को जन्म दिया और अब उनका एक बेटा भी है। निजी जिंदगी में मातृत्व के अनुभवों ने ही उन्हें 'फ्रीडम टू फीड' जैसा अभियान शुरू करने की प्रेरणा दी।
वर्क फ्रंट की बात करें तो नेहा धूपिया 2019 में आई फिल्म ‘बैड न्यूज’ में नजर आई थीं, जिसमें विक्की कौशल, तृप्ति डिमरी और एमी विर्क जैसे सितारे भी शामिल थे।
स्तनपान को लेकर समाज में सोच बदलने की जरूरत
नेहा की पहल न केवल शहरी महिलाओं के लिए, बल्कि देशभर में मातृत्व को गरिमा और अधिकार के रूप में स्वीकार कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस अभियान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब महिलाओं को चुप रहने के लिए नहीं, बल्कि समाज की सोच बदलने के लिए बोलने की जरूरत है।