एनपीएस वात्सल्य योजना में नाबालिगों की बढ़ती भागीदारी, 1.30 लाख बच्चों का हुआ पंजीकरण
- Post By Admin on Aug 12 2025
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नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली) की विशेष पहल एनपीएस वात्सल्य योजना के तहत अब तक 1.30 लाख नाबालिग ग्राहक पंजीकृत हो चुके हैं। यह योजना पिछले वर्ष 18 सितंबर 2024 को शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य बच्चों में बचत की आदत डालते हुए दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा और रिटायरमेंट की संस्कृति को बढ़ावा देना है।
लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि 3 अगस्त 2025 तक इस योजना में 1,30,000 नाबालिग सदस्यों का पंजीकरण हो चुका है। यह योजना देश के सभी नागरिकों, सरकारी और गैर-सरकारी कर्मचारियों सहित, के लिए उपलब्ध है।
योजना की विशेषताएं
एनपीएस-वात्सल्य एक अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें माता-पिता या अभिभावक अपने नाबालिग अंशदाता के लिए न्यूनतम ₹1,000 प्रति वर्ष का योगदान कर सकते हैं, जबकि अधिकतम अंशदान की कोई सीमा नहीं है। जैसे ही बच्चा वयस्क होता है, उसका खाता स्वतः ही सामान्य एनपीएस खाते में परिवर्तित किया जा सकता है।
इस योजना का संचालन पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के तहत होता है और इसे पॉइंट्स ऑफ प्रेजेंस (पीओपी) जैसे बैंक शाखाओं और गैर-बैंक संस्थाओं के माध्यम से लागू किया जाता है। इसके अलावा, एनपीएस ट्रस्ट द्वारा विस्तारित एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए भी आसानी से खाता खोला जा सकता है।
कर लाभ और प्रोत्साहन
पुरानी कर व्यवस्था के तहत, आयकर अधिनियम की धारा 80CCD (1B) के अंतर्गत माता-पिता या अभिभावक द्वारा किए गए अंशदान पर ₹50,000 तक की अतिरिक्त आयकर छूट का प्रावधान है। यह प्रावधान 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी हुआ है, जिससे इस योजना की आकर्षण क्षमता और बढ़ गई है।
विस्तृत कवरेज और प्रचार अभियान
राज्य मंत्री चौधरी ने बताया कि पीओपी पूरे देश में, सभी भौगोलिक क्षेत्रों में कार्यरत हैं, जिससे योजना की पहुंच छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों तक सुनिश्चित हो रही है। साथ ही, योजना को लोकप्रिय बनाने के लिए पीएफआरडीए टीवी, रेडियो, थिएटर, सोशल मीडिया, प्रिंट और आउटडोर विज्ञापनों के जरिए बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल बच्चों के लिए शुरुआती बचत की आदत डालने में मदद करती है, बल्कि भविष्य में उनके लिए एक स्थायी और सुरक्षित रिटायरमेंट फंड तैयार करने का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह योजना व्यापक स्तर पर अपनाई गई, तो आने वाले वर्षों में भारत में वित्तीय साक्षरता, पेंशन कवरेज और आर्थिक आत्मनिर्भरता के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।