जांच के घेरे में सिबिल और बजाज फाइनेंस, क्रेडिट स्कोर प्रक्रिया पर उठे गंभीर सवाल

  • Post By Admin on Aug 22 2025
जांच के घेरे में सिबिल और बजाज फाइनेंस, क्रेडिट स्कोर प्रक्रिया पर उठे गंभीर सवाल

नई दिल्ली : भारतीय क्रेडिट स्कोर एजेंसी सिबिल (CIBIL) और कुछ वित्तीय संस्थानों जैसे बजाज फाइनेंस और पैसाबाजार पर यूजर्स द्वारा स्पैम कॉल आने की शिकायतें सामने आई हैं, जिससे यह मामला जांच के घेरे में आ गया है। सिबिल, जो कि भारतीयों के क्रेडिट हिस्ट्री और स्कोर की निगरानी करती है, इस समय पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा के मुद्दों को लेकर आलोचना के केंद्र में है।

तमिलनाडु के सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने हाल ही में लोकसभा में इस प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्रेडिट स्कोर की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है और उधारकर्ताओं के पास अपने क्रेडिट इतिहास में किसी भी गलती को सुधारने या अपील करने का स्पष्ट रास्ता नहीं है। उन्होंने बताया कि बैंक और वित्तीय संस्थान सिबिल स्कोर पर अत्यधिक निर्भर करते हैं, चाहे वह कार लोन हो, होम लोन या क्रेडिट कार्ड, लेकिन सिबिल के काम करने के तरीकों को लेकर जनता में पर्याप्त जानकारी नहीं है।

सांसद ने कहा, "सिबिल वास्तव में एक निजी कंपनी है, जिसका नाम ट्रांसयूनियन है। यह हमारी क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर रेटिंग देती है, लेकिन हमें नहीं पता कि वे हमारी जानकारी को सही ढंग से अपडेट कर रहे हैं या नहीं। अगर कोई गलती होती है, तो हमारे पास उसे ठीक कराने का कोई स्पष्ट मार्ग नहीं है।" उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कई किसान और कर्जदार तब समस्याओं का सामना करते हैं, जब उनकी सब्सिडी या कर्ज निपटान की जानकारी उनके क्रेडिट रिकॉर्ड में सही समय पर अपडेट नहीं होती।

सिबिल स्कोर की जांच के बाद स्पैम कॉल का मामला भी गंभीर चिंता का विषय बन गया है। कई ऑनलाइन यूजर्स ने शिकायत की है कि स्कोर चेक करने के तुरंत बाद उन्हें बजाज फाइनेंस या पैसाबाजार जैसी कंपनियों से लगातार कॉल आने लगे। एक यूजर ने बताया कि उन्होंने अपना सिबिल स्कोर चेक किया और दो क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन किया, उसके बाद बजाज फाइनेंस से प्री-अप्रूव्ड लोन की पेशकश करने वाले लगातार कॉल आने लगे। दूसरे यूजर ने कहा कि पैसाबाजार पर स्कोर जांचने के बाद उन्हें स्पैम कॉल और ईमेल लगातार मिल रहे हैं, जिससे उन्हें व्यक्तिगत और वित्तीय सुरक्षा को लेकर चिंता हो रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सिबिल जैसी क्रेडिट ब्यूरो एजेंसियों को उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा, गोपनीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है। उनका मानना है कि यदि वित्तीय संस्थान उपभोक्ताओं की अनुमति और सहमति के बिना स्कोर डेटा का उपयोग कर उन्हें मार्केटिंग कॉल भेजते हैं, तो यह डेटा प्रोटेक्शन और उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है।

वित्तीय विश्लेषकों और कानून विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार और नियामक संस्थाओं को सिबिल और अन्य क्रेडिट एजेंसियों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। साथ ही, उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया जाना चाहिए कि वे अपने क्रेडिट स्कोर की पूरी रिपोर्ट देख सकें, किसी भी गलती को सुधार सकें और अपने डेटा का वित्तीय संस्थानों द्वारा इस्तेमाल पर नियंत्रण रख सकें।

इस मामले में संसद में उठे सवालों और ऑनलाइन शिकायतों के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय इस पर गंभीरता से गौर करेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे ताकि क्रेडिट स्कोर प्रणाली पारदर्शी, सुरक्षित और उपभोक्ता हितैषी बन सके।