पर्यावरण दिवस पर विशेष

  • Post By Admin on Jun 05 2018
पर्यावरण दिवस पर विशेष

कहीं पर्यावरण दिवस पर लम्बा-चौड़ा भाषण. कहीं पर्यावरण दिवस पर हैशटैग का मेला मगर क्या जो चीज़ें कहीं जा रही हैं या लिखी जा रही हैं, हम उन पर अमल भी करेंगे!

यह कोई कहने वाली बात नहीं है हम भारतीय सिर्फ़ अपना घर-आँगन साफ़ रखने विश्वास करते हैं. इसी विश्वास के साथ एक और विश्वास भी हमारा अटल सत्य है कि, अपना साफ़ और दूसरे का गन्दा.

घर से बाहर निकलते ही बिस्कुट का पैकेट सड़क पर, केला का छिलका सड़क पर, गुटखा खा कर पिचकारी से सड़क को रंगते हुए निकलते हैं. ख़ास कर जब सवारी कार से की जा रही हो तब तो ये धर्म बन जाता है कि हम सड़क पर ही कचरा फेंके. 

तो जब देश वासियों की ही सोच ऐसी होगी तो देश क्या ख़ाक साफ़-सुथरा होगा!

ऊपर से बढ़ती आबादी और कटते पेड़-पौधे, घटता जंगल और बढ़ता शहर हमारे पर्यावरण को जो नुक़सान पहुँचा रहे हैं. उसकी तो बात ही बाक़ी रह गयी. 

इस तरफ़ तो कोई सोचना भी नहीं चाहता क्यूँकि इस खेल में देश के आला कमान से ले कर छूट-भईए कांट्रैक्टर तक शामिल है. 

सबको अपने-अपने जेब की पड़ी है. देश/विश्व और उसके वातावरण की किसको पड़ी है. सब आज एक अंधी दौड़ में दौड़ रहे हैं. इस दौड़ के अंत में विनाश है मगर उसकी पड़ी किसको है. आज में जीना है मगर सोचिय हम आने वाले नस्लों के लिए क्या छोड़ कर जाने वाले हैं.

अब भी ज़्यादा कुछ नहीं बिगड़ा है. तो बजाय भाषण के और सोशल मीडिया पर हैशटैग खेलने के एक-एक तुलसी का पौधा भी अगर हम सब लगायें और उसकी देखभाल करें. तो कुछ महीनों में ही हमारे आस-पास का वातावरण शुद्ध हो जाएगा.

शुरुआत कहीं से तो करनी ही पड़ेगी तो क्यूँ न अपने आस-पास से करें. आज इस दिन पर ये सोच लें कि कचरा सड़क पर नहीं फेंकेंगे. पूजा के बाद प्लास्टिक की थैलियाँ नदी में नहीं डालेंगे. 

ऐसे-ऐसे छोटे-छोटे क़दम उठा कर ही हम अपनी धरती को बचा पाएँगे.