नेपाल में बवाल: हिंसक प्रदर्शनों के बीच पीएम केपी शर्मा ओली का इस्तीफा, कई मंत्रियों ने भी छोड़ा पद
- Post By Admin on Sep 09 2025

काठमांडू : नेपाल की राजनीति मंगलवार को बड़े संकट में फंस गई जब हिंसक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। राजधानी काठमांडू सहित कई प्रमुख शहरों में जनता सड़कों पर उतर आई, संसद भवन पर धावा बोला और आगजनी की। विपक्षी दलों और युवाओं के लगातार दबाव के बाद आखिरकार ओली ने पद छोड़ दिया। वे महज 1 साल 2 महीने तक ही प्रधानमंत्री रह सके। उन्होंने 15 जुलाई 2024 को तीसरी बार पीएम पद संभाला था।
हिंसक प्रदर्शनों के बीच केवल ओली ही नहीं, बल्कि कैबिनेट से भी इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। अब तक चार मंत्री—गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और जल आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव—ने पद छोड़ दिया है। इस्तीफों की इस लहर ने सरकार के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रदर्शन की वजह भ्रष्टाचार और हाल ही में लगाए गए सोशल मीडिया बैन को बताया जा रहा है। दो दिन से जारी इस युवा आंदोलन में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है। भारी जनदबाव के चलते नेपाली कांग्रेस और सीपीएन (यूएमएल) गठबंधन सरकार के टूटने की आशंका गहराती जा रही है। जुलाई 2024 से बनी यह सरकार 88 सीटों वाली नेपाली कांग्रेस और 79 सीटों वाली ओली की सीपीएन (यूएमएल) पर आधारित थी। अब तक हुए सभी इस्तीफे नेपाली कांग्रेस के नेताओं के हैं। स्थिति और भी बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड, शेर बहादुर देउबा, हाल ही में इस्तीफा देने वाले गृह मंत्री रमेश लेखक और संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के घरों में आगजनी कर दी। मंगलवार को झापा में कांग्रेस महासचिव विश्वप्रकाश शर्मा के घर को भी भीड़ ने निशाना बनाया। इससे पहले काठमांडू कांग्रेस महासचिव गगन कुमार थापा और पूर्व उपराष्ट्रपति बिमलेंद्र निधि के आवास पर भी हमला हुआ। सबसे खतरनाक हालात उस समय बने जब राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के बालाजू बोहोरातार स्थित निजी आवास पर भीड़ ने आग लगा दी और गोलीबारी हुई। हालात काबू में न रहने पर सुरक्षा बल वहां से पीछे हट गए।
नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने इस हिंसा और जनहानि पर गहरी निराशा जताई। उन्होंने कहा कि युवाओं की जायज मांगों पर गौर किए बिना उन पर गोली चलाना दुर्भाग्यपूर्ण है। नेपाल इस समय राजनीतिक अस्थिरता और जनाक्रोश के दोहरे संकट से गुजर रहा है। इस्तीफों और हिंसा के बीच सरकार का भविष्य अधर में लटका है, और देश में अस्थिरता का नया दौर शुरू हो गया है।