राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, जाने क्या है पद से हटाने की प्रक्रिया
- Post By Admin on Dec 11 2024

नई दिल्ली : दिल्ली में सत्ता और विपक्ष के बीच एक नया राजनीतिक घमासान छिड़ गया है। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इस प्रस्ताव के माध्यम से विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ पक्षपाती तरीके से राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन कर रहे हैं और उनकी भूमिका से संसदीय लोकतंत्र को खतरा हो रहा है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “राज्यसभा के सभापति के अत्यंत पक्षपाती तरीक़े से कार्यवाही का संचालन करने के कारण इंडिया ग्रुप के सभी घटक दलों के पास उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने इसे एक कठिन निर्णय बताते हुए कहा कि यह कदम संसदीय लोकतंत्र के हित में उठाना पड़ा।
अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया क्या है?
उपराष्ट्रपति जो की राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, को पद से हटाने के लिए विशेष प्रक्रिया अपनानी होती है। संविधान के मुताबिक इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए 14 दिन पहले उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया जाना अनिवार्य है। इसके बाद राज्यसभा में सामान्य बहुमत से इस प्रस्ताव को पारित किया जाता है। इसके बाद इसे लोकसभा में भी सामान्य बहुमत से पारित करना होता है।
पूर्व लोकसभा महासचिव और संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचारी के अनुसार, “राज्यसभा के सभापति को हटाने के लिए वही नियम लागू होते हैं, जो लोकसभा के अध्यक्ष को हटाने के लिए होते हैं।” इसके लिए विपक्ष को राज्यसभा में बहुमत हासिल करना होगा। जो वर्तमान में मुश्किल नजर आता है।
विपक्ष को क्या मिलेगा?
हालांकि यह पहला मौका है जब राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है लेकिन संविधान और कानून के जानकार मानते हैं कि विपक्ष को इसमें कोई खास सफलता नहीं मिलेगी। विषेशज्ञ बताते हैं कि इस तरह का प्रस्ताव पारित होने की संभावना बेहद कम है, क्योंकि सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत है।” उनका यह भी कहना है कि उपराष्ट्रपति को सदन का विश्वास खो देने के आधार पर हटाया जा सकता है, न कि संविधान के उल्लंघन के आधार पर, जैसा कि राष्ट्रपति के मामले में होता है।
विवाद का कारण
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में कार्यवाही अक्सर पक्षपाती रही है। जयराम रमेश ने इस आरोप को और स्पष्ट करते हुए बताया कि संसद के मौजूदा सत्र के दौरान, खासकर जब अदानी समूह के खिलाफ विपक्ष ने जेपीसी (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी) की मांग की, तब सत्ता पक्ष ने राज्यसभा की कार्यवाही को रोकने की कोशिश की और धनखड़ को इसमें शामिल होने का आरोप लगाया।
बीजेपी सांसद और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा, “कांग्रेस ने एक ड्रामा किया है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के प्रस्ताव को नामंज़ूर किया जाना चाहिए।