जेपी नड्डा ने पंडित नेहरू की 1960 सिंधु जल संधि को बताया भारत के इतिहास की सबसे बड़ी भूल
- Post By Admin on Aug 18 2025
.jpg)
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया है। इस फैसले पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने तीखा बयान दिया और इसे भारत के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू की सबसे बड़ी ऐतिहासिक गलतियों में से एक करार दिया।
जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए कहा कि जब पंडित नेहरू ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए, तो उन्होंने एकतरफा रूप से सिंधु बेसिन के 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को सौंप दिया। इसके परिणामस्वरूप भारत के पास केवल 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बची, जिससे देश की जल सुरक्षा और कृषि क्षेत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ा। नड्डा ने इसे एक ऐसा निर्णय बताया जो भारत के राष्ट्रीय हितों को व्यक्तिगत आदर्शवाद और तत्कालिक राजनीतिक नजरिए की बलि चढ़ा गया।
उन्होंने बताया कि यह संधि भारतीय संसद की मंजूरी के बिना की गई थी। 1960 में सितंबर में इसे पाकिस्तान के साथ हस्ताक्षरित किया गया और केवल दो महीने बाद, नवंबर में इसे संसद में औपचारिक रूप से दो घंटे की चर्चा के लिए रखा गया। नड्डा ने इसे पंडित नेहरू का 'हिमालयन ब्लंडर' बताया और कहा कि एक ऐसे प्रधानमंत्री ने जिसने लोकतांत्रिक संस्थाओं की अवहेलना की और देश के भविष्य को जोखिम में डाला।
जेपी नड्डा ने कहा कि इतिहास में यह तथ्य दर्ज होना चाहिए कि नेहरू ने इस संधि को अपने दल के कड़े विरोध के बावजूद भारत के लिए लाभकारी साबित करने का प्रयास किया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नेहरू ने एक सवालिया तीर की तरह कहा था, "किसका बंटवारा? एक बाल्टी पानी का?" – जिससे यह साफ हुआ कि उन्होंने संसदीय प्रक्रिया की अनदेखी करते हुए, राष्ट्रीय संसाधनों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया।
उन्होंने आगे बताया कि तत्कालीन युवा सांसद अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इस संधि की कड़ी आलोचना की थी और चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान की अनुचित मांगों के आगे झुकने से मित्रता स्थापित होने की सोच त्रुटिपूर्ण है। वाजपेयी ने स्पष्ट किया कि वास्तविक मित्रता अन्याय पर आधारित नहीं हो सकती और राष्ट्रीय हित हमेशा सर्वोपरि होना चाहिए।
जेपी नड्डा ने कांग्रेस के एसी गुहा के तर्क को भी याद किया, जिन्होंने कहा था कि विदेशी मुद्रा संकट के समय पाकिस्तान को 83 करोड़ रुपए स्टर्लिंग का भुगतान करना 'मूर्खता की पराकाष्ठा' थी। गुहा ने चेतावनी दी थी कि संसद की अनदेखी एक अधिनायकवादी रवैये की निशानी हो सकती है। इसी प्रकार, अशोक मेहता जैसे अन्य कांग्रेस नेताओं ने इस संधि की आलोचना करते हुए इसे 'दूसरे विभाजन' के समान बताया।
जेपी नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूरदर्शिता और 'राष्ट्र प्रथम' की नीति के तहत सिंधु जल संधि को सस्पेंड करके इतिहास की इस बड़ी गलती को सुधारने का साहसिक कदम उठाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम न केवल भारत की जल सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि यह देश के नागरिकों और पीढ़ियों के लिए राष्ट्रीय हितों की रक्षा का संदेश भी है।