सिंधु जल संधि विवाद पर भारत का कड़ा रुख, मध्यस्थता अदालत का फैसला बताया अवैध और शून्य

  • Post By Admin on Aug 14 2025
सिंधु जल संधि विवाद पर भारत का कड़ा रुख, मध्यस्थता अदालत का फैसला बताया अवैध और शून्य

नई दिल्ली : भारत ने हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (पीसीए) के हालिया फैसले को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि इसका कोई कानूनी आधार नहीं है और यह भारत के जल उपयोग अधिकारों को प्रभावित नहीं करता। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत ने इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय की वैधता, अधिकार-क्षेत्र और क्षमता को कभी स्वीकार नहीं किया।

जायसवाल ने कहा कि फैसले अधिकार-क्षेत्र से बाहर हैं, कानूनी रूप से शून्य हैं और पाकिस्तान द्वारा इसके चयनित एवं भ्रामक हवाले को भारत पूरी तरह अस्वीकार करता है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान प्रायोजित सीमा-पार आतंकवाद, जिसमें हाल का ‘निर्मम पहलगाम हमला’ भी शामिल है, के जवाब में भारत ने संप्रभु निर्णय के तहत सिंधु जल संधि को निलंबित किया है।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, संधि निलंबित रहने तक भारत अपने दायित्वों के पालन के लिए बाध्य नहीं है और कोई भी मंच, विशेषकर अवैध रूप से गठित यह मध्यस्थता न्यायालय, भारत के संप्रभु अधिकारों की जांच करने का अधिकार नहीं रखता। मंत्रालय ने पीसीए के किशनगंगा और राटले जलविद्युत परियोजनाओं पर दिए पूरक निर्णय को भी अस्वीकार किया।

भारत ने इस कदम को पाकिस्तान की ओर से अंतरराष्ट्रीय मंचों का दुरुपयोग कर जिम्मेदारी से बचने का “एक और बेताब प्रयास” करार दिया और कहा कि यह रवैया उसकी दशकों पुरानी धोखाधड़ी और हेरफेर की नीति को दर्शाता है।