बिहार एसआईआर : अमित मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर फैली भ्रांतियों का किया खंडन
- Post By Admin on Aug 24 2025

नई दिल्ली : बिहार में चल रही विशेष मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआईआर) को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद फैली भ्रांतियों पर भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी आधार कार्ड को मतदाता सूची में शामिल होने के लिए मान्य दस्तावेज नहीं कहा और इस तरह का प्रचार न सिर्फ गलत है बल्कि अदालत की अवमानना के दायरे में भी आ सकता है।
अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “बार-बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पॉइंट 9 पढ़ें। कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि एसआईआर के लिए आधार को नागरिकता का प्रमाण मान लिया जाए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय मतदाता पंजीकरण अधिनियम, 1950 की धारा 16 साफ बताती है कि मतदाता सूची में वही शामिल हो सकता है जो भारतीय नागरिक हो, मानसिक रूप से स्वस्थ हो और भ्रष्टाचार या चुनाव अपराधों में अयोग्य न ठहराया गया हो।
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि आधार अधिनियम केवल पहचान और निवास का सबूत है, यह न तो नागरिकता साबित करता है और न ही स्थायी निवास का। मालवीय ने कहा कि अगर आधार को ही मतदाता पंजीकरण का आधार मान लिया जाए तो न केवल धारा 16 बल्कि आधार अधिनियम भी निरर्थक हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और तथ्य
मालवीय ने याद दिलाया कि 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पहले ही यह साफ कर दिया था कि आधार नागरिकता साबित करने वाला वैध दस्तावेज नहीं है। उन्होंने कहा कि 22 अगस्त को अदालत ने बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाने और नए नाम जोड़ने की प्रक्रिया पर बारीकी से चर्चा की।
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कुल 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए, जिनमें मृतक, फर्जी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या नाम शामिल बताए गए।
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इसके खिलाफ केवल 84,305 आपत्तियां दर्ज हुईं, जो कुल हटाए गए नामों का मात्र 1.3% है।
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वहीं, 2,63,257 नए मतदाताओं ने फॉर्म जमा किए।
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1,60,813 बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त किए गए थे, लेकिन अदालत के अनुसार सिर्फ 2 आपत्तियां दर्ज कराई गईं। सुप्रीम कोर्ट ने इस निष्क्रियता पर आश्चर्य जताया।
मालवीय ने कहा कि कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि हर बीएलए प्रतिदिन कम से कम 10 वास्तविक मतदाताओं को पुनः सूची में शामिल करे, ताकि छूटे हुए लोगों का नाम वापस जोड़ा जा सके।
‘वोट चोरी’ का दावा असंभव
मालवीय ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि “65 लाख नाम हटाए गए, लेकिन आपत्तियां मात्र 84,305 आईं। ऐसे में वोट चोरी का दावा पूरी तरह असंभव है। यह केवल जनता को गुमराह करने का प्रयास है।”
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट मत है कि एसआईआर प्रक्रिया पूरी तरह जारी रहेगी और आधार को नागरिकता साबित करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। “केवल भारतीय नागरिक ही अगले चुनावों में मतदान करेंगे और सरकार चुनेंगे,” मालवीय ने दोहराया।
मीडिया और विपक्ष को नसीहत
अपने पोस्ट के अंत में अमित मालवीय ने चेतावनी देते हुए लिखा, “प्रचार की खाक में मत खो जाइए। सुप्रीम कोर्ट जमीनी सच्चाई देख रहा है, आपको भी समझ लेना चाहिए।