भारत पर ट्रंप का दोहरा मार : ईरान से तेल लेनदेन पर 6 कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध

  • Post By Admin on Jul 31 2025
भारत पर ट्रंप का दोहरा मार : ईरान से तेल लेनदेन पर 6 कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध

नई दिल्ली : भारत-अमेरिका संबंधों में इन दिनों खटास साफ नजर आ रही है। 25 फीसदी टैरिफ की मार झेल रहे भारत को अमेरिकी प्रशासन ने अब एक और बड़ा झटका दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने ईरान से तेल और पेट्रोकेमिकल लेनदेन को लेकर भारत की छह प्रमुख कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इस कार्रवाई के दायरे में अब करीब 220 मिलियन डॉलर के सौदे जांच के घेरे में आ गए हैं।

इन 6 भारतीय कंपनियों पर गिरी गाज
जिन कंपनियों पर अमेरिका ने कार्रवाई की है, उनमें कंचन पॉलिमर्स, अलकेमिकल सॉल्यूशंस, रमणिकलाल एस गोसालिया एंड कंपनी, जुपिटर डाई केम, ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स, और पर्सिस्टेंट पेट्रोकेम शामिल हैं। ये सभी कंपनियां ईरान से प्रतिबंधित पेट्रोकेमिकल उत्पाद आयात करने के आरोप में अमेरिका के प्रवर्तन अभियान की जद में आई हैं।

अलकेमिकल पर सबसे गंभीर आरोप
सबसे गंभीर आरोप अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड पर लगे हैं, जिसने जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच 84 मिलियन डॉलर से अधिक के ईरानी पेट्रोकेमिकल आयात किए थे।
वहीं, ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड ने जुलाई 2024 से जनवरी 2025 तक 51 मिलियन डॉलर मूल्य के मेथनॉल सहित उत्पाद खरीदे।

अन्य कंपनियों का आंकड़ा भी कुछ इस तरह है:

  • जुपिटर डाई केम प्रा. लि. – $49 मिलियन (टोल्यूनि सहित)

  • रमणिकलाल एस गोसालिया एंड कंपनी – $22 मिलियन (मेथेनॉल व टोल्यूनि)

  • पर्सिस्टेंट पेट्रोकेम प्रा. लि. – $14 मिलियन (अक्टूबर-दिसंबर 2024)

  • कंचन पॉलिमर्स – $1.3 मिलियन (ईरानी पॉलीथीन)

अमेरिका ने जब्त की संपत्तियां
अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत इन कंपनियों की अमेरिका में मौजूद संपत्तियां जब्त कर ली गई हैं। इसके साथ ही अमेरिकी नागरिकों और कंपनियों को इन संगठनों के साथ किसी भी प्रकार के व्यापारिक लेन-देन से रोक दिया गया है। इसके अतिरिक्त, ये प्रतिबंध उन सभी कंपनियों या संस्थाओं पर भी लागू होंगे, जिनमें इन प्रतिबंधित फर्मों की 50% या उससे अधिक हिस्सेदारी है।

ट्रंप की कड़ी लाइन
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने ईरान के साथ भारत के संबंधों को लेकर असंतोष भी जताया था। विश्लेषकों का मानना है कि यह सब BRICS देशों की नजदीकी और रूस-भारत के सैन्य व्यापार को लेकर अमेरिकी नाराजगी का हिस्सा है।

भारत की स्थिति मुश्किल में
यह मामला अब भारत की विदेश नीति और ऊर्जा रणनीति के लिए गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। एक ओर रूस से सस्ते तेल और ईरान से पेट्रोकेमिकल आयात भारत की ज़रूरत है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका जैसे बड़े रणनीतिक साझेदार की नाराजगी बढ़ती जा रही है।