दुनिया का नंबर-1 पेमेंट सिस्टम बना भारत का UPI, IMF ने दी वैश्विक नेतृत्व की मान्यता

  • Post By Admin on Jul 20 2025
दुनिया का नंबर-1 पेमेंट सिस्टम बना भारत का UPI, IMF ने दी वैश्विक नेतृत्व की मान्यता

नई दिल्ली : भारत की डिजिटल क्रांति अब वैश्विक फलक पर अपनी धमक छोड़ चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ताजा रिपोर्ट में भारत को तेज भुगतान प्रणाली का वैश्विक अगुवा बताया गया है। इस उपलब्धि के केंद्र में भारत की यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) है, जो अब दुनिया की सबसे बड़ी रियल-टाइम भुगतान प्रणाली बन गई है।

जून 2025 में रिकॉर्ड 18.39 अरब ट्रांजैक्शन
UPI ने जून 2025 में 18.39 अरब डिजिटल ट्रांजैक्शन और 24 लाख करोड़ रुपए से अधिक का लेनदेन कर नया कीर्तिमान रच दिया। यह पिछले साल जून 2024 के 13.88 अरब ट्रांजैक्शन की तुलना में 32% की वृद्धि को दर्शाता है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा 2016 में लॉन्च की गई यह प्रणाली अब भारत के 85% डिजिटल भुगतानों को संभाल रही है।

हर दिन 640 मिलियन से ज्यादा ट्रांजैक्शन, वीजा को पछाड़ा
UPI ने वैश्विक भुगतान कंपनी वीजा को भी पीछे छोड़ दिया है। जहां वीजा प्रतिदिन 639 मिलियन ट्रांजैक्शन प्रोसेस करता है, वहीं UPI अब हर दिन 640 मिलियन से अधिक ट्रांजैक्शन संभाल रहा है। मात्र 9 वर्षों में यह मुकाम हासिल करना भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

491 मिलियन यूजर्स और 65 मिलियन मर्चेंट्स जुड़ चुके
UPI आज देशभर में 491 मिलियन उपभोक्ताओं और 65 मिलियन कारोबारियों को सेवा दे रहा है। 675 से अधिक बैंक इस प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं, जो डिजिटल भुगतान के एकीकृत नेटवर्क को दर्शाता है। UPI अब दुनिया भर के कुल रियल-टाइम डिजिटल भुगतानों का 50% से अधिक हिस्सा संभालता है।

7 देशों में सेवा विस्तार, ब्रिक्स में भी बन सकता है मानक
UPI की सफलता भारत की सीमाओं को पार कर चुकी है। यह अब यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस में उपलब्ध है। फ्रांस में प्रवेश को यूरोप में UPI की पहली बड़ी उपस्थिति माना जा रहा है। भारत अब इसे ब्रिक्स देशों में भी एक मानक भुगतान प्रणाली बनाने की दिशा में प्रयासरत है।

आम आदमी के जीवन में बड़ा बदलाव
UPI ने भारत में डिजिटल भुगतान को 24x7 आसान, त्वरित और सुरक्षित बना दिया है। अब केवल UPI ID से किसी को भी तत्काल पैसे भेजना संभव है—बिना बैंक डिटेल साझा किए। QR कोड स्कैन कर दुकानों, ठेलों और शोरूमों तक में आसान लेनदेन संभव हो गया है, जिससे कैशलेस अर्थव्यवस्था को बल मिला है।

तीन स्तंभों पर टिकी सफलता
UPI की यह कामयाबी तीन बड़ी सरकारी पहलों की नींव पर खड़ी है:

  • जन-धन योजना: अब तक 55.83 करोड़ से अधिक बैंक खाते खुल चुके हैं।

  • आधार: 142 करोड़ नागरिकों को सुरक्षित डिजिटल पहचान मिली है।

  • सस्ती इंटरनेट सेवा: डेटा दरों में गिरावट (308 रुपये/GB से घटकर मात्र 9.34 रुपये/GB) ने डिजिटल पहुंच को आसान बनाया।

भारत ने स्थापित किया नया वैश्विक मानक
भारत का यह डिजिटल मॉडल अब दुनिया भर में पब्लिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक प्रेरणा बन चुका है। IMF की मान्यता भारत की नीतियों, नवाचार और तकनीकी नेतृत्व पर एक वैश्विक मुहर है।

UPI अब सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल आत्मनिर्भरता और आर्थिक समावेशन की प्रतीक बन चुकी है।