बढ़ते कर्ज के बीच धड़ल्ले से हो रहा क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल, एनपीए में बदल रहे हजारों करोड़

  • Post By Admin on Jul 30 2025
बढ़ते कर्ज के बीच धड़ल्ले से हो रहा क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल, एनपीए में बदल रहे हजारों करोड़

नई दिल्ली : भारत में क्रेडिट कार्ड का बढ़ता चलन अब चिंता का सबब बनता जा रहा है। जहां एक ओर उपभोक्ताओं की डिजिटल निर्भरता और खर्च करने की आदतें लगातार बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर क्रेडिट कार्ड पर बकाया राशि खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है।

सीआरआईएफ हाई मार्क की रिपोर्ट के मुताबिक, 91 से 360 दिनों तक बकाया क्रेडिट कार्ड भुगतान में सिर्फ एक साल में 44 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मार्च 2025 तक लगभग 34,000 करोड़ रुपए की राशि तीन महीने से अधिक समय तक बकाया रही, जो अब नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) की श्रेणी में आ चुकी है।

91-180 दिन वाले बकायों में सबसे ज्यादा जोखिम

सबसे अधिक दबाव 91 से 180 दिनों के बीच के बकाया खातों में है, जिसकी राशि 20,872.6 करोड़ रुपए से बढ़कर 29,983.6 करोड़ रुपए पहुंच गई है — यानी दो साल में लगभग दोगुनी।

‘पोर्टफोलियो एट रिस्क’ (PAR) में भी लगातार वृद्धि

बकाया खातों के जोखिम को मापने वाले पोर्टफोलियो एट रिस्क (PAR) में भी बढ़ोतरी हुई है।

  • 91-180 दिन की श्रेणी में PAR बढ़कर 8.2 फीसदी हो गया है, जो पिछले वर्ष 6.9 फीसदी था।

  • 181-360 दिन की श्रेणी में PAR 2023 में 0.7 फीसदी से बढ़कर 2025 में 1.1 फीसदी तक पहुंच चुका है।

क्रेडिट कार्ड से खर्च में रिकॉर्ड उछाल

चिंता की बात यह है कि बढ़ते कर्ज के बावजूद देश में क्रेडिट कार्ड के जरिए खर्च करने की रफ्तार थम नहीं रही है।

  • मई 2025 तक कुल बकाया क्रेडिट कार्ड लोन बढ़कर 2.90 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि पिछले वर्ष यह 2.67 लाख करोड़ रुपए था।

  • मार्च 2025 तक क्रेडिट कार्ड लेन-देन 21.09 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो सालाना 15 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है।

  • अकेले मई 2025 में 1.89 लाख करोड़ रुपए के लेनदेन दर्ज हुए, जबकि जनवरी 2021 में यह आंकड़ा महज 64,737 करोड़ रुपए था।

एक्टिव क्रेडिट कार्ड की संख्या भी रिकॉर्ड स्तर पर

भारत में सक्रिय क्रेडिट कार्ड धारकों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।

  • मई 2025 तक यह संख्या 11.11 करोड़ पहुंच गई, जो 2024 में 10.33 करोड़ और 2021 में 6.10 करोड़ थी।

विशेषज्ञों की चेतावनी

वित्तीय विशेषज्ञ बढ़ती PAR और NPA की दर को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं। उनका मानना है कि यह रुझान यदि जारी रहा, तो बैंकिंग सिस्टम पर दबाव के साथ-साथ मध्यम वर्ग की वित्तीय स्थिरता को भी खतरा हो सकता है।