अंडे और पनीर के भेष में बिक रहा जहर,पढ़े पूरी खबर
- Post By Admin on Oct 24 2025
नई दिल्ली : भारत में ब्रांड्स शुरुआत में उच्च गुणवत्ता वाले अंडे बेचकर ग्राहकों का भरोसा जीतते हैं लेकिन लोकप्रियता बढ़ने पर क्वालिटी घटा देते हैं, इसलिए अंडों की गुणवत्ता और पैकेजिंग में गिरावट एक बड़ी समस्या बन चुकी है। बाजार में मानकों की कमी और अतिशयोक्तिपूर्ण विज्ञापन से उपभोक्ता गुमराह हो रहे हैं।
सभी ब्रांड की एक ही कहानी
सभी ब्रांड्स की एक ही कहानी है- Blinkit, Instamart और लोकल स्टोर्स हो या बड़े ऑर्गेनिक स्टोर हों या फैंसी शॉप्स, क्वालिटी, साइज, फ्रेशनेस और टेस्ट कभी एक जैसा नहीं मिलता। लेकिन सभी ब्रांड्स की पैकेजिंग शानदार और नाम बेहद जटिल होते है।
अंडों की बड़ी समस्या से जूझ रहा भारत
असल में भारत में अंडों की एक बड़ी समस्या है।आप यह तब तक महसूस नहीं करेंगे जब तक आप Eggoz, HenFruit, The Natural Fresh, FarmMade जैसे ब्रांड्स की बात सुनते रहेंगे। अमेरिका या यूरोप की तरह यहां कोई तय या लागू मानक नहीं हैं। यह एक मुक्त बाजार है, जहां ब्रांड्स अंडों की गुणवत्ता पर कम ध्यान देते हैं और ज्यादा ध्यान अपनी मार्केटिंग और आकर्षक कहानीबाजी पर लगाते हैं। साथ ही, वे यह दिखाने में लगे रहते हैं कि मुर्गियां क्या-क्या खाती हैं, जो अक्सर असंभव या अतिशयोक्ति भरा होता है।
ब्रांड्स के अजीबोगरीब दावे
एक ब्रांड दावा करता है कि उसकी मुर्गियां ड्राई फ्रूट खाती हैं, इसलिए उसके अंडे सबसे पीले और सबसे सफेद होते हैं। वहीं, दूसरा ब्रांड और खास दिखने के लिए कहता है कि उसकी मुर्गियां ड्राई फ्रूट के साथ ऑरेंज जूस भी पीती हैं, इसलिए उसके अंडे न केवल मेवे के स्वाद के हैं बल्कि फ्रूटी भी होते हैं।कई ब्रांड्स इसी तरह अतिशयोक्तिपूर्ण कहानियां गढ़ते हैं कि उनकी मुर्गियां कैसे रहती है।
इसके बाद अंडों के बारे में और कहानियां बनाई जाती हैं, ताकि स्वास्थ्य के प्रति सजग और प्रोटीन लेने वाले लोगों को गुमराह किया जा सके। कुछ ब्रांड्स दावा करते हैं कि उनके अंडों में मल्टीविटामिन मिलाए गए हैं। कोई कहता है कि सिर्फ मल्टीविटामिन ही नहीं, उसके अंडों में अतिरिक्त आयरन और मैग्नीशियम भी होता है। ये अंडे बेचने वाले ब्रांड्स अंडों के खोल के रंग- सबसे सफेद और सबसे गहरा भूरा- को ज्यादा बढ़-चढ़कर दिखाते हैं।
मिड-डे मील में दिए जाने वाले अंडों का हाल
भारत में अंडों के मानक इतने खराब हैं कि हाल ही में आंध्र प्रदेश के एल्यूर में अधिकारियों ने मिड-डे मील की गुणवत्ता जांचने के लिए एक स्कूल का निरीक्षण किया और पाया कि बच्चों को सिर्फ 31 ग्राम वजन वाले अंडे मिल रहे थे। जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका में एक सामान्य आकार का अंडा लगभग 50 ग्राम का होता है। अमेरिका में छोटे अंडे का वजन 40 ग्राम के थोड़ा ऊपर होता है और यूरोप में यह थोड़े बड़े होते हैं। भारत में अंडा कंपनियां 45-50 ग्राम के अंडों को 'बड़े' या 'एक्स्ट्रा बड़े' कहकर बेचती हैं, जो अगर ताजा हों तो ठीक माना जा सकता है। लेकिन अधिकांश मामलों में यह भी सही नहीं है।
नकली पनीर से भी बड़ी समस्या
Blinkit और InstaMart जैसे क्विक-कॉमर्स ऐप्स पर भी यही स्थिति है, जहां ब्रांड्स कुछ ऑर्गेनिक, बड़े और हाई क्वालिटी वाली सामग्री से बने उत्पाद बेचना शुरू करते हैं। एक ऐसे देश में जहां गुणवत्ता वाली चीजों की कमी है, ये ब्रांड्स जल्दी ही लोकप्रिय हो जाते हैं। और फिर, ये भी वही चालाकी दिखाने लगते हैं और वही हसलिंग शुरू कर देते हैं, जो मार्केट में अन्य कम-गुणवत्ता वाले खिलाड़ी कर रहे हैं।
और यह सब वास्तविक धोखाधड़ी के मामलों को शामिल किए बिना है, जैसे कि 'सिंथेटिक पनीर' जैसी अजीब चीज या डालडा और घी में आम मिलावट। सीधे शब्दों में कहें तो, भारत की खाने-पीने की इंडस्ट्री बहुत खराब हालत में है।