बिहार एसआईआर : सुप्रीम कोर्ट से विपक्ष को झटका, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की समय सीमा बढ़ाने से इनकार

  • Post By Admin on Sep 01 2025
बिहार एसआईआर : सुप्रीम कोर्ट से विपक्ष को झटका, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की समय सीमा बढ़ाने से इनकार

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले में विपक्षी दलों को बड़ा झटका देते हुए ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावे और आपत्तियों की समय सीमा 1 सितंबर से आगे बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने चुनाव आयोग के इस आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि 1 सितंबर की डेडलाइन के बाद भी लोग अपनी आपत्तियां और दावे दर्ज कर सकेंगे।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि नामांकन की अंतिम तिथि तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया जारी रहेगी। इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को निर्धारित की गई है।

चुनाव आयोग के वकील एकलव्य द्विवेदी ने बताया कि याचिकाओं में दो मुख्य मांगें थीं—पहली, आधार कवरेज को 65 प्रतिशत से बढ़ाकर सभी 7.2 करोड़ मतदाताओं तक विस्तारित किया जाए, और दूसरी, आपत्तियों की समय सीमा बढ़ाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मांगों को खारिज करते हुए कहा कि आयोग के आंकड़ों के अनुसार 99.5 प्रतिशत लोगों का आवेदन पहले ही पूरा हो चुका है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार का उद्देश्य नागरिकता साबित करना नहीं, बल्कि पहचान सुनिश्चित करना है। आधार कार्ड को जन्मतिथि प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन यह नागरिकता का दस्तावेज नहीं है।

चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जिला निर्वाचन अधिकारियों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है, साथ ही समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं। आयोग ने कहा कि 1 से 25 सितंबर तक आपत्तियां और दावे दर्ज करने का समय है, और 30 सितंबर के बाद भी आवेदन स्वीकार किए जाएंगे।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी को निर्देश दिया कि पैरा-लीगल वॉलेंटियर्स मतदाताओं की सहायता के लिए सक्रिय किए जाएं।

याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने अदालत में तर्क दिया कि आयोग पारदर्शिता बरतने में विफल रहा है और कई जगह बीएलओ द्वारा ‘रिन्यूमेरेशन फॉर्म’ भरे गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई मतदाताओं को दस्तावेजों में कमी का हवाला देते हुए नोटिस दिए गए हैं।

कोर्ट ने कहा कि जिनका नाम छूट गया है, वे आधार कार्ड के साथ दावा पेश कर सकते हैं, लेकिन आधार की अहमियत को कानूनी प्रावधानों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। अगली सुनवाई में कोर्ट आधार कार्ड के कारण मतदाता सूची से बाहर हुए लोगों की सूची पर विचार करेगा।