बचपन की डायरी
- Post By Admin on Mar 21 2022
.jpg)
खोलता हूँ जब भी बचपन की डायरी
याद आता है
स्कूल के रास्ते ----
धूल धूसरित वह पगडंडी
आम का बगीचा
उस बीच एक बड़ा सा ईमली का पेड़
जहाँ तुमने बिछाये थे अपने सपने की उड़ान
और उन सभी सपनों का सहचर था मैं !
कुछ छोटे-छोटे, कुछ बड़े -बड़े से सपने
पानी की एक बोतल थी,
हम दोनों ने साथ पीया था
तुम्हें भले न याद रहे !
पानी को सब याद था
तुम्हारे होठों की छुअन
और बचपन की सौगातें
बड़े हो गए हैं वे आम के बगीचे,
जैसे कि मैं और तुम भी !
क्या अब तुम्हारे बच्चे भी सपने दिखाते हैं ?
©रजनीश